Friday, November 8, 2024

Ghazal Lesson - 6

 हर्फे रबी के बारे में आप सब  न केवल अच्छी तरह जान चुके हैं बल्कि उसे पहचान भी सकते हैं। क़ाफ़िया में हर्फे रबी होना आवश्यक है। बिना हर्फे रबी के काफिया नहीं हो सकता । क़ाफ़िया के पहले चार अक्षर हो सकते हैं जिन्हें असली कहते हैं और हर्फे रबी के बाद जुड़ने वाले चार अक्षर को वस्ली ( वस्ल माने जुड़ना) कहते हैं।

असली हरूफ हैं

हर्फे रिद्फ

हर्फे कैद

हर्फे दखील

हर्फे तासीस

हर्फे रिद्फ

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हर्फे रबी के पहले जो भी दीर्घ मात्रा होगी  वह हर्फे रिद्फ कहलायेगी। जैसे-

1. राम में हर्फे रबी म है इसके पहले आ की मात्रा है यही आ की मात्रा हर्फे रिद्फ है

2. साज़ में हर्फे रबी ज़ है हर्फे रिद्फ उसके पहले आ की मात्रा है।

3. संगीत - हर्फे रबी त है और हर्फे रिद्फ उसके पहले ई की मात्रा है

4. मंज़ूर - हर्फे रबी र है और हर्फे रिद्फ उसके पहले  ऊ की मात्रा है

5. मेल - हर्फे रबी ल है और हर्फे रिद्फ ए की मात्रा है

6. कसाई - हर्फे रबी ई है और हर्फे रिद्फ आ की मात्रा है ग़रज यह है कि हर्फे रबी के पहले जो भी मात्रा होगी वह हर्फे रिद्फ कहलायेगी।

 यह हर्फे रिद्फ हर्फे रबी के साथ बँध जाता है मतलब क़ाफ़िया मे  हर्फे रबी के बाद आने वाली मात्रा को बदल नहीं सकते हैं जैसे आपने क़ाफ़िया नाक़ाम लिया है तो अगला क़ाफ़िया में म के पहले आ की मात्रा आना आवश्यक है।  काम के साथ राम , नाम , परिणाम आदि आयेगा लेकिन 

क़ाम के साथ सोम , ओम, भीम , धूम आदि काफिया लेंंगे तो गलत होगा क्योंकि हर्फे रबी म के पहले आनेवाली मात्रा हर्फे रिद्फ  फिक्स हो गई है।

इसी प्रकार खीर क़ाफ़िया में हर्फे रबी र के पहले हर्फे रिद्फ ई की मात्रा है तो आगे काफिया मीर , पीर, हीर आदि होगा लेकिन खीर के साथ  हूर , शेर, और आदि लेंगे तो काफ़िया गलत होगा।

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