हर्फे तासीस
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दखील के पहले जो दीर्घ मात्रा आती है उसे तासीस कहते हैं
जैसे- बादल यहां ल हरफे रबी है द दखील है क्योंकि इसके पहले दीर्घ मात्रा आ है। इस दीर्घ मात्रा आ को ही तासीस कहेंगे।
इसी प्रकार बोतल में ओ की मात्रा तासीस है
सेवक में ए की मात्रा तासीस है
पीतल में ई की मात्रा तासीस है
इसी प्रकार अन्य उदाहरण भी दिये जा सकते हैं
काफिया मे तासीस को नहीं बदला जा सकता है भले ही दखील बदल जाये। जैसे-
कामिल के साथ का़तिल तो आ सकता है जिसमें दखील बदल गया है लेकिन तासीस अर्थात दीर्घ मात्रा वही है उसमें कोई बदलाव नहीं है। अब कामिल के साथ कातिल तो आयेगा लेकिन मुश्किल नहीं आयेगा क्योंकि इसमें तासीस आ की मात्रा बदल गई है।
एक बात और- ,
अगर मतले के दोनों काफिये मे एक ही दखील लिया है तो आगे के काफिये में दखील नहीं बदलेगा। दखील वही रहेगा । जैसे
कामिल के साथ अगर हामिल लिया है मतले में तो आगे शामिल, जामिल आदि आयेगा कातिल ,आदिल आदि नहीं आयेगा।
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