Saturday, November 16, 2024

Két kecske találkozott egy pallón-एक तख़्ते पर दो बकरियों की मुलाक़ात

 

 Két kecske találkozott egy pallón

एक तख़्ते पर दो बकरियों की मुलाक़ात 


प्राचीन समय की बात है।  एक नदी के किनारे बकरियों का तबेला था। बकरियाँ वहाँ से सब तरफ़  निकल पड़तीं और नदी के इस पार और उस पार फैले पेड़ों की पत्तियाँ खातीं।  नदी के इस तरफ़ चारा चरती  बकरियाँ सोचतीं कि नदी के उस तरफ़ बढ़िया चारा मिलेगा और उस तरफ़ वाली बकरियाँ यह सोचतीं कि इस तरफ़ अच्छी घास मिलेगी। 

इधर वाली बकरियाँ सोचतीं कि उस पार कैसे जाया जाए और उधर वाली बकरियाँ सोचतीं कि इस तरफ़ कैसे आया जाए।  एक दिन एक बकरी ने देखा कि पानी में एक मजबूत तख़्ता पड़ा है।  वह जल्दी से तख़्ते पर चढ़ गयी। जब दूसरी तरफ़ वाली बकरी ने उसे तख़्ते पर चढ़ते देखा तो वह भी दौड़ कर जल्दी से तख़्ते के दूसरे किनारे पर चढ़ गयी। 

तख़्ते पर पहले चढ़ने वाली बकरी जवान थी और बाद में चढ़ने वाली बुढ़िया।  तख़्ते के बीचों - बीच दोनों बकरियाँ एक दूसरे के सामने कड़ी थीं। पहली बकरी ने दूसरी बकरी से कहा - " तुम तख़्ते पर क्यों चढ़ीं जबकि तुम ने देख लिया था कि मैं तख़्ते के ऊपर चढ़ चुकी हूँ। "


" इसलिए क्योंकि मैं तुम से उम्र में बड़ी हूँ।  तुम वापिस लौट जाओं। "


जवान बकरी बोली ," मैं वापिस नहीं मुड़ूँगी क्योंकि मेरा नंबर पहला है और तख़्ते पर पहले मैं चढ़ी थी।  


दूसरी ने पहली बकरी से कहा , " लेकिन मैं तुम से बूढी हूँ और जवान को चाहिए कि बूढ़ों को रास्ता दे। "


जवान बकरी रास्ता नहीं देना चाहती थी लेकिन बूढी बकरी फिर भी उन्हीं शब्दों  को दोहराती रही।  दोनों तख़्ते के बीचों - बीच कड़ी लड़ती रहीं और दोनों नदी मैं गिर गयीं।  पानी उन्हें बहा ले गया।  

बच्चों कहानी ख़त्म हुई , लेकिन हो सकता है कि वे बकरियाँ आज भी रह रही हों , अगर अब तक मरी न हों।  

 






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