Wednesday, June 25, 2025

शहर और जंगल - अजन्मा

 अजन्मा 


वह जन्म लेने से पहले ही मर गया 

आँख का आँसू

पलक तक आते आते ठहर गया 

सहज हो  सकता है 

खिली हुई धूप में गुलाब - सा महकना

पर मेरे दोस्त !

कितनी वज़नी होती है 

एक गुलाब की मृत देह 

किसी सीने पे ठहरे हुए पहाड़ से पूछो 

मन मन भारी क़दमों से पूछो 

पूछो उस गीली मिटटी से 

जिस पर पैरों के नन्हें नन्हें निशान 

बनने से पहले ही मिट गए 

पूछो उस बदक़िस्मत बाप के 

अरमानों से 

जो वक़्त से पहले ही लुट गए 

पूछो उन फैली हुई बाँहों से 

जिनमें सिमटने को रह गया 

सिर्फ़ धुआँ , सिर्फ़ काला धुआँ

इस दुनिया के जंगल में 

जाने किस हैवान को देख कर 

वह डर गया 

वह जन्म लेने से पहले ही मर गया 

वह अकेला नहीं 

मेरे देश में सैकड़ों बच्चें 

जन्म लेने से पहले ही मरते हैं 

मालुम नहीं किस हैवान से डरते हैं ?  

 

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