Saturday, June 28, 2025

Sanskrit Lessons

 क्त एवं क्तवतु

ये दो प्रत्यय भूतकाल में प्रयुक्त होते हैं। क्त का त तथा क्तवतु का तवत्  शेष रहता है।

जाना, चलना अर्थ की और अकर्मक  धातुओं से क्त प्रत्यय होने पर कर्ता में प्रथमा व कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है।

उदाहरणार्थ- सः गृहं गतः। सः आगतः। सः सुप्तः। सः मृतः।


सकर्मक धातुओं में क्त प्रत्यय होने पर कर्ता में तृतीया व कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है। क्रिया का लिंग, वचन, विभक्ति कर्म के अनुसार होगी न कि कर्ता के अनुसार। 

अकर्मक धातुओं से क्त प्रत्यय होने पर कर्ता में तृतीया व क्रिया में नपुंसक लिंग एकवचन होता है।

क्त प्रत्ययांत शब्द, कर्म के अनुसार पुलिंग हो तो राम के समान, स्त्रीलिंग हो तो रमा के समान और नपुंसक लिंग हो तो धन जैसे रूप चलेंगे।

उदाहरणार्थ- उसने काम किया। 

                  तेन कार्यं कृतम्।

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क्त प्रत्ययान्त शब्द 

   धातु           शब्द    अर्थ

    अद्      ‌जग्ध:     खाया 

   अधि + इ   अधीत:  पढ़ा 

अर्च्    अर्चित:  पूजा किया

आप्     आप्त:    पाया 

  आ+ रभ्   आरब्ध: आरम्भ किया 

आ + ह्वे   आहूत:  पुकारा 

इष्   इष्ट:  चाहा 

ईक्ष्   ईक्षित: देखा हुआ 

कथ्  कथित:  कहा 

कुप्   कुपित:    क्रुद्ध हुआ 

कृ     कृत:     किया 

क्री  क्रीत:    खरीदा 

क्रीड्   क्रीडित:   खेला 

क्रुध्    क्रुद्ध:  क्रुद्ध हुआ 

क्षिप्     क्षिप्त:   फेंका 

खाद्    खादित: खाया 

गण्    गणित:  गिना 

गम्   गत:    गया 

गै     गीत:    गाया 

ग्रह्   गृहीत: ग्रहण किया 

चल्     चलित: चला

चिन्त्  चिन्तित:    सोचा 

चुर्    चोरित: चुराया

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