Friday, November 29, 2024

लघुकथा - ख़दमश्री

ख़दमश्री  


ख़दमश्री     सम्मान के लिए नामांकित उम्मीदवारों में से दो उम्मीदवारों के नाम शार्ट लिस्ट कर लिए गए थे और मंत्री जी ने अंतिम निर्णय  लेना था। 

अधिकारी ने दोनों उम्मीदवारों की फाइल्स मंत्री जी की मेज़ पर रखी तो मंत्री जी ने अधिकारी से दोनों उम्मीदवारों का ब्यौरा सुनाने को कहा।  

" जी सर , पहले उम्मीदवार  डॉ  राम नरेश शर्मा है। 100 पुस्तकों के लेखक , 30 वर्षों का अध्यापन का अनुभव , पिछले 5 वर्षों में 20 पुस्तकालय खोले हैं  । "


" दूसरे उमीदवार श्री चम्पत लाल , शिक्षा - सातवीं  फेल , सक्रीय सामाजिक  कार्यकर्त्ता , पिछले पांच वर्षों में ५ मंदिरों का निर्माण " अधिकारी उम्मीदवारों का ब्यौरा सुना कर मंत्री जी के आदेश की प्रतीक्षा करने लगा। 


" पुस्तकालयों में हर रोज़  कितने लोग आते  हैं ? " मंत्री ने अधिकारी से पूछा 


" जी , यही लगभग 50 - 100 "।  अधिकारी ने हिचकते हुए कहा। 


" मंदिर में हर रोज़ कितने लोग आते  हैं और चढ़ावा कितना आता है ? मंत्री ने अधिकारी से फिर पूछा 


" जी , लगभग 1लाख  लोग रोज़ आते हैं और चढ़ावा तो लगभग 5 लाख रूपये रोज़ का है " 


अधिकारी का ब्यौरा सुन कर मंत्री जी ने श्री चम्पत लाल की फाइल पर " ख़दमश्री    " की मोहर लगा दी और डॉ राम नरेश शर्मा की फाइल को डस्टबिन में डालने का आदेश दे कर अपने दफ़्तर से सीधे मंदिर के लिए निकल गए।  


लेखक - इन्दुकांत आंगिरस 


Ghazal - Lesson - 15

 क़ाफ़िया में इक्वा का ऐब

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क़ाफ़िया में हर्फ़े रबी के पहले जो स्वर आता है वही स्वर आगे हर क़ाफ़िया में आना अनिवार्य है।ऐसा न होने पर क़ाफ़िया में ऐब हो जाता है। इस ऐब को इक्वा का ऐब कहते हैं। जैसे

काफिया "डर" में हर्फ़े रबी "र" है। इस हर्फे रबी के पहले "अ" स्वर का उच्चारण है । इसलिए आगे के काफिये में "अ" स्वर हर्फे रबी के पहले  आना चाहिए। अत: डर" के साथ "पर" , "सर","मगर" आदि आयेगा क्योंकि इन काफिये में र के पहले अ स्वर आ रहा है। यदि हम क़ाफ़िया "घिर " ,"फिर" , " साहिर" आदि लेते हैं तो " र" के पहले "इ"स्वर आने से इक्वा का ऐब पैदा होगा। इस प्रकार क़ातिल, मुश्किल, बेदिल, शामिल के साथ पायल, बादल ,चावल, मक्तल ,गुल , बुलबुल , आदि क़ाफ़िया बाँधने से इक्वा का ऐब पैदा हो जायेगा।

अगर मतले में हर्फे रबी के बाद कोई ब्यंजन दोनों काफिये में शामिल है तो आगे आने वाले क़ाफ़िये में हर्फे रबी के साथ उस ब्यंजन को भी लेना अनिवार्य होगा साथ ही उसके पहले जो स्वर है वह भी आयेगा । जैसे मतले में हवा के साथ दवा क़ाफ़िया लिया गया तो आगे के काफ़िये में  रवा ,तवा, आदि आयेगा लेकिन सिवा, युवा नहीं आयेगा क्योंकि हर्फे रबी यहां आ की मात्रा है। इसके पहले व ब्यंजन आ रहा है लेकिन इसके पहले अ स्वर है इसलिए हवा दवा के साथ रवा त़ो आयेगा लेकिन सिवा और युवा आने पर व के पहले स्वर इ आ गया है जो स्वर अ से भिन्न है अत: ऐसे क़ाफ़िये इक्वा ऐब के अन्तर्गत आयेंगे।



शौती क़ाफ़िया या इक़्फ़ा का ऐब 

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ऐसे का़फ़िये जिनमें हर्फे रबी की ध्वनि उच्चारण में लगभग समान हो लेकिन लिखने में अलग हो तो ऐसे क़ाफ़िये इक़्फ़ा ऐब वाले कहलाते हैं जैसे हिन्दी में श और ष का उच्चारण लगभग एक जैसा है। यहां यदि हर्फे रबी श की जगह  किसी क़ाफ़िया मे ष ले लिया जावे तो पढ़ने में उच्चारण एक समान है लेकिन अक्षर अर्थात हर्फे रबी अलग हो गया जो कि एक ऐब हे। यह ऐब ही शौती क़ाफ़िया या इक्फ़ा ऐब है। जैसे शेष के साथ क्लेश क़ाफ़िया ऐब पैदा कर रहा है।.

Thursday, November 28, 2024

Ghazal Lesson - 14

 अगर एक मूल शब्द है और दूसरा योजित शब्द है तो मूल शब्द का हर्फे रबी मतलब अंतिम अक्षर योजित शब्द के अंतिम अक्षर से समानता रखता है (अंतिम अक्षर हर्फे वस्ल, हर्फे खुरूज, हर्फे मजीद या फिर क्षर्फे नाइरा कोई भी हो सकता है) तो ऐसे  क़ाफ़िये जा़यज होते हैं।  जैसे -

समन्दर  और  बिछुड़कर काफिये लेने पर समन्दर मूल शब्द है और बिछुड़कर शब्द  योजित है। ( क्योंकि इसमें हर्फे वस्ल क और हर्फे खुरूज र जुड़ा है) समन्दर में हर्फे रबी " र " है और बिछुड़कर में अंतिम अक्षर  हर्फे खुरूज " र " आपस में समान हैं इसलिए ऐसे क़ाफ़िये जायज हैं। जब काफिये उपरोक्त नियम से ज़ायज नहीं होते हैं तो इसे ईता का ऐब कहते हैं।

ईता का ऐब दो प्रकार का होता है

1.ईता ए ख़फ़ी

2. ईता ए जली

ईता ए ख़फ़ी को छोटी ईता भी कहते हैं। जब ईता का ऐब हो मगर स्पष्ट दिखाई नहीं दे उसमेँ छुपा हुआ हो तब ईता का यह ऐब ईता ए ख़फ़ी कहलाता है। 

जैसे- गुलाब ( गुल +आब)

और शराब( शर+आब) काफिया मतले में बाँधने पर मूल शब्द गुल और शर में आब को ओड़ा गया है । यहां पर आब हटा देने पर दोनों में हर्फे रबी  अलग अलग.होने के कारण ईता का ऐब है।लेकिन यह ऐब स्पष्ट नही दिख रहा है इसलिए ये ईता ए ख़फ़ी का ऐब हैः

ईता ए जली को बड़ी इता भी.कहते हैं। जब योजित शब्द को मतले में काफिया बाँधते हैं तब बढ़े हुये अंश को हटाने पर शेष जो मूल शब्द बचता है उसका हर्फे रबी यदि नहीं मिलता है और यह स्पष्ट दिखाई देता है तो इसे बडी ईता कहते हैं । जैसे-

खोलकर और देखकर

दोनों में मूल शब्द खोल और.देख  में कर  जोड़कर नया  खोलकर और देखकर  योजित शब्द बना है अब दोनों मे से जोड़े गये अंश कर को हटा देने पर खोल और देख बचता है जिसका हर्फे रबी एक समान नहीं है इसलिए यह ईता का ऐब.है और यह ऐब स्पष्ट दिख रहा है इसलिए यह ईता ए जली कहलायेगा।

Tuesday, November 26, 2024

Ghazal Lesson # 13

 ग़ज़ल में क़ाफ़िया लेते समय  ध्यान रखना होगा कि एक मूल शब्द का हर्फे रबी दूसरे मूल शब्द के हर्फे रबी से मिलना चाहिए। जैसे- कमल के साथ जल, बदल , सरल , महल आदि। क्यों सभी में हर्फे रबी ल  मिल रहा है इसलिए ये काफिया सही है।  अब कमल के साथ सबक़ काफिया बाँधना गलत होगा क्योंकि कमल में हर्फे रबी ल है और सबक़ में हर्फे रबी क़ है जो कि ल से अलग है इसलिए ये क़ाफ़िया गलत होगा।

किसी मूल शब्द में जब कुछ अक्षर या मात्रा जोड़ देते हैं

अर्थात मूल शब्द में हर्फे वस्ल, हर्फे खुरूज, हर्फे मजीद, हर्फे नाइरा जब जुड़ जाता है और सार्थक शब्द बन जाता है तो ऐसे शब्द योजित शब्द कहलाते हैं।

1. अब योजित शब्द को जब मतले में बाँधा जाता है  ऐसे समान अक्षर जो दोनों काफिये में जोड़े गये हों उन्हें यदि हटा दिया जाये तो शेष बचा हुआ अंश हम काफिया मतलब हर्फे रबी दोनों मिलना चाहिए।

जैसे- संभलकर और निकलकर 

दो मूल शब्द संभल और निकल में "कर " जोड़कर (  हर्फे वस्ल और.हर्फे खुरूज यहां पर जोड़ा गया है )  नया शब्द  संभलकर और निकलकर बनाया गया है। अब यहां यदि जोड़ा हुआ अंश " कर" हटा दें तो शेष "संभल "और "निकल" बचता है और ये हम काफिया है क्योंकि  दोनों

में हर्फे रबी "ल " है और यहां हर्फे रबी दोनों में समान है इसलिये ये क़ाफ़िया जायज है। यदि हर्फे रबी नहीं मिलता तो काफिये ग़लत होता । जैसे-

दुश्मनी और दोस्ती काफिया बाँधना ग़लत होगा क्योंकि दोनों में बढ़ा अंश ई( हर्फे वस्ल) की मात्रा हटा देने पर शेष बचा अंश है- दुश्मन और दोस्त बचता है दुश्मन में हर्फे रबी "न " है और दोस्त में हर्फे रबी " त " है। दोनों में हर्फे रबी "न" और " त " में एक समानता नहीं है। दोनों समान न होने से ये क़ाफिया ग़लत है।

दुश्मनी और रोशनी का काफ़िया ज़ायज है क्योंकि दोनों में से हर्फे वस्ल ई हटा देने से शेष दुश्मन और  रोशन  बचता है जो काफिया के  मूल शब्द हैं और जिसका  अंतिम अक्षर अर्थात हर्फे रबी "न" है जो दोनों में एक समान है इस लिये ये का़फ़िया जायज है।

Ghazal - Tarahi Misra

 जे ए के आर्ट एण्ड कल्चर फ़ाउन्डेशन की जानिब से अगली नशिस्त के लिए बज़्मे नौ सुख़न के लिए तरही मिसरा मरहूम शायर हसीब सोज़ साहब की ग़ज़ल का मिसरा  दिया जा रहा है 

🥀🥀🥀🥀🥀🥀

मिसरा ए तरही--> 'जिसे रहबर समझते हैं वो रहज़न हो भी सकता है '

वज़्न------------> 1222  1222  1222  1222

अर्कान------> मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन        

क़ाफ़िया----आंगन, दुश्मन, दामन आदि.....

रदीफ़--------> 'हो भी सकता है'

फ़िल्मी गीत 

1-बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है 

2-मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता 


🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

तो दोस्तों शुरू हो जाइये बेहतरीन अश'आर कहने के लिए 

निवेदक 


जे. ए. के. आर्ट एण्ड कल्चर फ़ाउन्डेशन

Ghazal - lesson # 12

 हर्फे खुरूज -

हर्फे वस्ल के तत्काल बाद जो अक्षर या मात्रा आये वो हर्फू खुरूज कहलाता है। जैसे-

चलना -यहां मूल शब्द चल है और हर्फे रबी ल है इसके बाद आने वाला अक्षर न है जो हर्फे वस्ल है इस हर्फे वस्ल के बाद आ की मात्रा है। ये आ की मात्रा ही हर्फे खुरूज कहलाता है।

इसी प्रकार पानीदार शब्द में ई हर्फे रबी है द हर्फे वस्ल और हर्फे वस्ल के तत्काल बाद आने वाली मात्रा आ हर्फे खुरूज कहलायेगा।

मतलब यह है कि हर्फे वस्ल के बाद चाहे अक्षर आये या मात्रा वो हर्फे खुरूज होगा

हर्फे मजीद-

जिस प्रकार हर्फे वस्ल के बाद जुड़ने वाला अक्षर या मात्रा हर्फे खुरूज कहलाता है उसी प्रकार हर्फे खुरूज के बाद जुड़ने वाला अक्षर या मात्रा हर्फे मजीद कहलाता है जैसे- पानीदार  में ई की मात्रा हर्फे रबी है द हर्फे वस्ल है आ की मात्रा हर्फे खुरूज है और र हर्फे मजीद है।

इसी प्रकार

घरवाला शब्द में र हर्फे रबी है व हर्फे वस्ल है आ की मात्रा  हर्फे खुरूज है और ल हर्फे मजीद होगा।

हर्फे नाइरा - 

हर्फे मजीद के बाद आने वाला अक्षर या मात्रा हर्फे नाइरा होगा। जैसे -

घरवाला शब्द में र हर्फे रबी है व हर्फे वस्ल है आ की मात्रा  हर्फे खुरूज है ल हर्फे मजीद है और  आ की मात्रा हर्फे नाइरा है।

Saturday, November 23, 2024

Ghazal - Lesson - 11

 काफिया में हर्फे रबी का होना अनिवार्य है। हर्फे रिद्फ, हर्फे कैद, हर्फे दखील, हर्फे तासीस में से कोई भी हर्फे रबी के पहले आ सकता है। इन्हें हर्फे असली कहते हैं। 

काफिया में हर्फे रबी के बाद आने वाले सम्भावित चार अक्षर हैं-

1. हर्फे वस्ल 2. हर्फे खुरूज़ 3. हर्फे मज़ीद 4 हर्फे नाइरा

ये चार अक्षर वस्ली कहलाते हैं क्योंकि ये हर्फे रबी के बाद काफ़िया में जुड़ते हैं। इस प्रकार काफ़िया में कुल नौ अक्षर हो सकते हैं।

हर्फे वस्ल- हर्फे रबी के तत्काल बाद आने वाला अक्षर या मात्रा हर्फे वस्ल होता है। जैसे-

यारी = यार+ ई  ( यहाँ हर्फे रबी र मे ई मात्रा जुड़ने से        हर्फे वस्ल ई मात्रा है)

 भोपाली = भोपाल +ई ( ल हर्फै रबी और हर्फे वस्ल ई की मात्रा है)

घरवाला = घर + वाला ( यहाँ हर्फे रबी र के तत्काल बाद अक्षर व आ रहा है इसलिए हर्फे वस्ल अक्षर व होगा)

पानीदार   =  पानी   + दार ( यहाँ हर्फे रबी ई है और उसके तत्काल बाद द अक्षर आ रहा है तो द अक्षर हर्फे वस्ल होगा)

अतः हर्फे रबी के तत्काल बाद आने वाला अक्षर या मात्रा

हर्फे वस्ल कहलाता है।

Monday, November 18, 2024

Ghazal - Lesson - 10

 हर्फे तासीस

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दखील के पहले जो दीर्घ मात्रा आती है उसे तासीस कहते हैं

जैसे- बादल यहां ल हरफे रबी है द दखील है क्योंकि  इसके पहले दीर्घ मात्रा आ है। इस दीर्घ मात्रा आ को ही तासीस कहेंगे।

इसी प्रकार  बोतल में ओ की मात्रा तासीस है

                 सेवक में ए की मात्रा तासीस है

                 पीतल में ई की मात्रा तासीस है

इसी प्रकार अन्य उदाहरण भी दिये जा सकते हैं

काफिया मे तासीस को नहीं बदला जा सकता है भले ही दखील बदल जाये। जैसे- 

कामिल के साथ का़तिल तो आ सकता है जिसमें दखील बदल गया है लेकिन तासीस अर्थात दीर्घ मात्रा वही है उसमें कोई बदलाव नहीं है। अब कामिल के साथ कातिल तो आयेगा लेकिन मुश्किल नहीं आयेगा क्योंकि इसमें तासीस  आ की मात्रा बदल गई है।

एक बात और- ,

अगर मतले के दोनों काफिये मे एक ही दखील लिया है तो आगे के काफिये में दखील नहीं बदलेगा। दखील वही रहेगा । जैसे 

कामिल के साथ अगर हामिल लिया है मतले में तो आगे शामिल, जामिल आदि आयेगा कातिल ,आदिल आदि नहीं आयेगा।

A tulipánná változott Királyfi - तुलिप में बदल गया राजकुमार

 A tulipánná változott Királyfi -   तुलिप में बदल गया राजकुमार 


एक समय की बात है - एक राजा था।  राजा का एक पुत्र था। एक दिन पुत्र ने पिता से कहा ," मैं जा रहा हूँ और तब तक वापिस नहीं आऊँगा जब तक संसार की सबसे सुन्दर लड़की को न ढूँढ लूँ। "

राजकुमार चला गया।  सड़कों पर घूमते - घूमते वह ग़लती से जंगल में घुस गया। एक काँटेदार घनी झाडी में फँसा एक कौआ दर्द से बेहाल था। वह किसी भी तरह उन घनी काँटेदार टहनियों से ख़ुद को आज़ाद नहीं करा पा रहा था।  राजकुमार दयालु था।  उसने कौए को आज़ाद कर दिया।  आज़ाद होते ही कौए ने राजकुमार से कहा ," मेरे पंखों में से एक पंख निकाल लो और अगर कभी तुम किस मुसीबत में फँस जाओ तो पंख को हवा में घुमाना , मैं तुरंत वहाँ पहुँच जाऊँगा और तुम्हारी मदद करूँगा। "

राजकुमार ने कौए का पंख रख लिया और आगे बढ़ गया। वह के देशों में गया। एक बार उस ने देखा कि  एक छोटी मछली बैलगाड़ी के पहिये में फँसी छटपटा रही है।  राजकुमार को मछली पर दया आ गयी। वह मछली को उठा कर झील में डाल आया। मछली ने राजकुमार से कहा , " मेरी पीठ पर से एक स्केल ( शल्क )  खींच लो और जब कभी मुसीबत में पड़ो तो उस स्केल को पानी में डालना , मैं तुरंत आ जाऊँगी और तुम्हारी मदद करुँगी। "

उसके बाद राजकुमार ने रास्ते में एक वृद्ध व्यक्ति को देखा।  वृद्ध भूखा और प्यासा था।  राजकुमार ने दया कर उसे पानी पिलाया और खाना खिलाया। 

तब वृद्ध व्यक्ति ने राजकुमार से कहा , " मेरे बालों में से दो बाल खींच लो और जब कभी मुसीबत में पड़ो तो उन बालों को हवा में घुमाना ,

मैं तत्काल वहाँ पहुँच जाऊँगा और तुम्हारी मदद करूँगा। "

राजकुमार आगे बढ़ गया और तीसरे दिन एक गाँव की सीमा पर जा पहुँचा।  उसे गाँव वालो से पता चला कि वहाँ एक बूढा राजा रहता है जिसकी  एक सुन्दर लड़की है।  लेकिन अगर कोई भी उस लड़की से विवाह करना चाहे तो वर को तीन बार इस तरह छुपना पड़ेगा कि राजकुमारी उसको ढूँढ न सके।  राजकुमार ने सोचा कि वह इसकी कोशिश करेगा। वह राजा कि लड़की के पास गया और उससे विवाह का प्रस्ताव रखा।  इस पर राजकुमारी ने उसे तीन बार छुपने के लिए कहा। हाँ , अगर एक बार भी वह इस तरह छुपे कि राजकुमारी उसे ढूँढ न पाए तो राजकुमारी उसकी पत्नी बन जाएगी। 

राजकुमार ने हवा में कौए के पंख को लहराया।  सैकड़ों कौए आएँ और उसे पहाड़ी कि छोटी पर ले गए लेकिन राजकुमारी सीधी वहाँ पहुँच गयी , उसे ढूँढ निकाला  और उस पर हँस पड़ी।   

दूसरे दिन उसने झील में मछली का स्केल डाला।  एक विशाल मछली किनारे आ गयी और राजकुमार उसके पेट में छुप गया। लेकिन राजकुमारी मछली पकड़ने के जाल के साथ आयी , मछली और राजकुमार को पकड़ लिया और राजकुमार पर हँस पड़ी। 

तीसरे दिन राजकुमार ने दो बाल हवा में लहराए। वृद्ध व्यक्ति आया , उसने राजकुमार को सहलाया और राजकुमार फ़ौरन तुलिप का फूल बन गया। वृद्ध व्यक्ति ने उस फूल को अपनी टोपी के पास टाँग लिया। 

राजकुमारी दूल्हे राजकुमार को ढूँढने लगी लेकिन ढूँढ नहीं पायी।  शाम तक उसे विशवास हो गया कि वह उसे ढूँढ नहीं पाएगी।  तब उस सुन्दर लड़की के सामने वृद्ध व्यक्ति आया और उसने राजकुमारी के हाथ में तुलिप का फूल रख दिया। सुन्दर राजकुमारी ने फूल का चुम्बन लिया और तुलिप का फूल राजकुमार में बदल गया। 

" तुम मेरी हो और मैं तुम्हारा "राजकुमार ने कहा और उनका विवाह हो गया। इस तरह से राजकुमार ने संसार कि सबसे सुन्दर राजकुमारी ढूँढ निकाली थी जिसे वह अपने घर , अपने गाँव में ले गया। 

Saturday, November 16, 2024

Tenger csudája - समुद्री परी

 Tenger  csudája - समुद्री परी 


प्राचीन समय की बात है - दूर , बहुत दूर सात समुन्दर पार , उन पूँछ वाले सूअरों द्वारा खोदी गई पहाड़ियों के भी उस पार एक राजा रहता था।  राजा का एक पुत्र था।  उस राजकुमार की दोस्ती एक ग़रीब लड़के से हो गई और वह एप पिता से तब तक प्रार्थना करता रहा जब तक कि उसके पिता ने उस लड़के को हमेशा के लिए राजकुमार के साथ रहने की आज्ञा नहीं दे दी। दोने बालक एक साथ भाइयों की तरह बड़े होते गए। हर काम के लिए इकट्ठे जाते , घुड़सवारी भी इकट्ठे करते। एक दिन दोनों शहर गए। शहर में बाज़ार लगा हुआ था। राजकुमार शरारती मूड में था और उसने एक ग़रीब औरत का फूलदान तोड़ डाला। 

ग़रीब औरत ने कहा -" अगर तुम राजकुमार हो कर भी इतने शैतान हो तो मैं तम्हें शाप देती हूँ कि तुम्हारी शादी तब तक नहीं होगी जब तक समुद्री परी युम्हारी रानी नहीं बनेगी। "

समय गुजरता गया।  राजकुमार को ख़्याल आया कि उसे शादी करनी चाहिए। इधर भटका , उधर भटका लेकिन कोई भी लड़की उससे शादी करने को तैयार नहीं थी। 

तब एक दन उसके भाई ने राजकुमार से कहा - " तुम्हें याद नहीं , उस बूढी ग़रीब औरत ने बाज़ार मैं तुम से क्या कहा था ? उसने कहा था कि तुम्हारी शादी तब तक नहीं होगी जब तक समुद्री परी तुमसे शादी करने को तैयार नहीं होगी। "

-" ठीक है ,, तो फिर चलते है और उसको ढूँढ़ते है। " राजकुमार ने कहा। 

उन्होंने घोडा - गाड़ियों में सामन लादा  और यात्रा पार निकल पड़े। वे पहाड़ियों के उस पार जंगल में पहुँच गए। उस बड़े जंगल में उन्हें एक छोटा-सा घर मिला। वे उस घर  में घुस गए। उस घर में एक बुढ़िया रहती थी। 

- " नमस्ते माता जी ! "

- " नमस्ते बेटा  ! यहाँ किस काम से आए हों ?"

-" हम समुद्री परी को ढूँढ रहे हैं। क्या आपने उसके बारे में सुना है ?


बुढ़िया ने लड़कों को बताया कि उन्हें समुद्री परी किस दिशा में मिलेगी और ये भी कहा कि " मेरे बच्चों ! अगर तुम परी को पाना चाहते हो तो अपने साथ एक बड़ी आरी , एक बक्सा और एक साज़ भी ले जाना क्योंकि समुद्री परी को संगीत बहुत पसंद है। जब तुम संगीत बजाओगे तो परी आ जाएगी। तब तुम साज़ का एक तार बक्से में गिरा देना और जब परी अधिक संगीत बजाने के लिए कहे तो कह देना कि तार बक्से में गिर गया है और तुम्हें नहीं मिल पा  रहा  है।  तब परी बक्से में तार ढूंढने के लिए घुसेगी।  बस उसी क्षण तुम उस बक्से का ढक्कन बंद कर देना और उसे ले जाना।  " सब कुछ ऐसा ही हुआ।  राजकुमार ने घर पांच कर बक्सा खोला और परी को बाहर निकाला।  राजकुमार ने परी से कहा ," अब तुम मेरे पास हो।  बड़ी मुश्किलों से मैं तुम्हें यहाँ लाया हूँ। मेरी पत्नी बन जाओ और मुझसे शादी कर लो। "

समुद्री परी बोली , " मैं तुम्हारी पत्नी तभी बनूँगी , जब तुम मेरी इच्छा पूरी करोगे। कसम कह कर कहो कि तुमने अपने जीवन में जितने भी ग़रीबों का मज़ाक उड़ाया है , तुम हर उस ग़रीब को अपने ख़ज़ाने से सौ - सौ सोने की मोहरें दोगे। 

राजकुमार ने ऐसा ही किया , परी ने राजकुमार से शादी कर ली। दोनों पति - पत्नी ने अपना शेष जीवन ख़ुशी से बिताया। 

साहित्य सेवा

 साहित्य सेवा 


उम्र के ६०वे पड़ाव पर पहुँचने के बाद भारतीय मूल के अमेरिकन सेठ  ने सेठानी  से कहा - " बस अब बहुत हो गया , जीवन भर बहुत कमाया।  अब आराम से घर में बैठूंगा और साहित्य सेवा करूँगा। "

- " आराम से घर में बैठेंगे तो घर का खर्च कैसे चलेगा , बिना आमदनी खर्च करते रहो तो ख़ज़ाने  भी खाली हो जाते हैं,  " सेठानी ने ज्ञान परोसा । 

- "तुझे बताया ना अभी , साहित्य सेवा करूँगा। " सेठ ने ज़ोर से कहा। 

- " आपकी साहित्य सेवा से तो पेट भरेगा नहीं " , सेठानी ने अपनी दलील दोहराई। 

- " तू बहुत नासमझ है , मैंने आज तक कोई सेवा बिना मेवा के नहीं करी। तुझे मालूम नहीं साहित्य संसार में ऐसे हज़ारों कवि - लेखक भरे पड़े हैं , जिन्हें कोई पूछता तक नहीं। उन्हें छपास की बीमारी है , बस उन्हीं कवियों के साझा संकलन प्रकाशित करूँगा। "

- " उससे क्या होगा ? " सेठानी ने जिज्ञासा से पूछा।  

- " उससे ये होगा कि सभी कवि अपने लिए कुछ प्रतियाँ ख़रीदेंगे , किताब की क़ीमत दुगनी रखी जाएगी लेकिन फिर भी सभी सहर्ष पुस्तकों  को  ख़रीदेंगे और किताब पर अमेरिकन मुहर भी तो होगी।, देखना  ख़ूब किताबे बिकेंगी , सेवा की सेवा , मेवा की मेवा    "

सेठानी अपने ज़हीन पति के इस जुमले पर मुस्कराये बिना ना रह सकी। 


लेखक - इन्दुकांत आंगिरस 


Published - Indore Samachar - 11-01-2025

Két kecske találkozott egy pallón-एक तख़्ते पर दो बकरियों की मुलाक़ात

 

 Két kecske találkozott egy pallón

एक तख़्ते पर दो बकरियों की मुलाक़ात 


प्राचीन समय की बात है।  एक नदी के किनारे बकरियों का तबेला था। बकरियाँ वहाँ से सब तरफ़  निकल पड़तीं और नदी के इस पार और उस पार फैले पेड़ों की पत्तियाँ खातीं।  नदी के इस तरफ़ चारा चरती  बकरियाँ सोचतीं कि नदी के उस तरफ़ बढ़िया चारा मिलेगा और उस तरफ़ वाली बकरियाँ यह सोचतीं कि इस तरफ़ अच्छी घास मिलेगी। 

इधर वाली बकरियाँ सोचतीं कि उस पार कैसे जाया जाए और उधर वाली बकरियाँ सोचतीं कि इस तरफ़ कैसे आया जाए।  एक दिन एक बकरी ने देखा कि पानी में एक मजबूत तख़्ता पड़ा है।  वह जल्दी से तख़्ते पर चढ़ गयी। जब दूसरी तरफ़ वाली बकरी ने उसे तख़्ते पर चढ़ते देखा तो वह भी दौड़ कर जल्दी से तख़्ते के दूसरे किनारे पर चढ़ गयी। 

तख़्ते पर पहले चढ़ने वाली बकरी जवान थी और बाद में चढ़ने वाली बुढ़िया।  तख़्ते के बीचों - बीच दोनों बकरियाँ एक दूसरे के सामने कड़ी थीं। पहली बकरी ने दूसरी बकरी से कहा - " तुम तख़्ते पर क्यों चढ़ीं जबकि तुम ने देख लिया था कि मैं तख़्ते के ऊपर चढ़ चुकी हूँ। "


" इसलिए क्योंकि मैं तुम से उम्र में बड़ी हूँ।  तुम वापिस लौट जाओं। "


जवान बकरी बोली ," मैं वापिस नहीं मुड़ूँगी क्योंकि मेरा नंबर पहला है और तख़्ते पर पहले मैं चढ़ी थी।  


दूसरी ने पहली बकरी से कहा , " लेकिन मैं तुम से बूढी हूँ और जवान को चाहिए कि बूढ़ों को रास्ता दे। "


जवान बकरी रास्ता नहीं देना चाहती थी लेकिन बूढी बकरी फिर भी उन्हीं शब्दों  को दोहराती रही।  दोनों तख़्ते के बीचों - बीच कड़ी लड़ती रहीं और दोनों नदी मैं गिर गयीं।  पानी उन्हें बहा ले गया।  

बच्चों कहानी ख़त्म हुई , लेकिन हो सकता है कि वे बकरियाँ आज भी रह रही हों , अगर अब तक मरी न हों।  

 






Friday, November 15, 2024

श्रीमती अपर्णा

 श्रीमती अपर्णा शुक्ल का जन्म 17 दिसंबर 1950 को हैदराबाद के एक आर्य परिवार में हुआ। माता डाॅ. सुनीति व पिता  प्राचार्य पं. मंजुनाथ शास्त्री दोनों गुरुकुल में पढ़े थे और अपनी बेटी से संस्कृत में ही वार्तालाप करते थे, अतः अपनी मातृभाषा  हिन्दी से आपका परिचय स्कूल जाने पर ही हुआ। 

बाद में आपने M.Sc., B.Ed., DCM, JAIIB पदवियाँ प्राप्त कीं। 1971 में आपका विवाह मुम्बई निवासी डाॅ. अभयकुमार शुक्ल से हुआ। बैंक ऑफ इंडिया में 36 वर्ष विभिन्न पदों पर प्रशंसनीय कार्य करने के बाद 2010  में सेवानिवृत्त हुईं।

बैंक के कार्यकाल के दौरान भी वैदिक साहित्य का स्वाध्याय जारी रहा। सेवानिवृत्ति  पश्चात भी वेद पठन, स्वाध्याय, योग व यज्ञ निरंतर आपकी दिनचर्या के अंग बने हुए हैं।

कुछ वर्षों से वेद मंत्रों पर प्रवचन भी करती रही हैं, संप्रति समाज माध्यमों द्वारा अनेक सत्संगों में आभासी भागीदारी हो रही है।

A macska és az egér -बिल्ली ओर चूहा

  A macska és az egér

बिल्ली ओर चूहा

 

यहाँ - वहाँ , इधर - उधर , मेरे पास , तुम्हारे पास , पापा के पास , मम्मी के पास , सभी के पास बिल्ली थी। एक बार यही बिल्ली कटोरे में दूध पी रही थी तभी एक चूहा वहाँ आ गया और कटोरे के किनारे काटने लगा।

बिल्ली ने चूहे से कहा -" ऐ चूहे ! पागल मत बन।  कुतरना छोड़ दे नहीं तो मैं तेरी पूँछ ले लूँगी। "

छोटे चूहे को विशवास नहीं हुआ , वह कुतरता रहा , बिल्ली ने उसकी पूँछ ले ली। चूहा रोने - धोने लगा , बिल्ली से अपनी पूँछ वापिस माँगने लगा  लेकिन बिल्ली ने पूँछ वापिस नहीं करी।

- " मेरे लिए गाय से दूध ले कर आओ , तब तुम्हारी पूँछ लौटाऊँगी।  " बिल्ली ने कहा ।

चूहा गाय के पास गया।

" गाय  गाय , मुझे दूध दे दो , दूध बिल्ली को दूँगा , बिल्ली मेरी पूँछ वापिस करेगी। " चूहे ने कहा।

 

- " मैं तब तक तुम्हें दूध नहीं दूँगी जब तक तुम मुझे कटाई वाले से सूखी घास नहीं लाकर दोगे " गाय ने कहा।

 

चूहा कटाई वाले के पास गया। 

 

- " कटाई वाले मुझे सूखी घास दे दो , घास गाय के पास ले कर जाऊँगा और तब बिल्ली मेरी पूँछ वापिस कर देगी। "

 

- " मैं सूखी घास तब तक नहीं दूँगा जब तक तुम मुझे बेकर के यहाँ से डबलरोटी  नहीं ला कर दोगे। " कटाई वाले ने सहजता से कहा।

 

- " मैं  तब तक डबलरोटी नहीं दूँगा  जब तक तुम मुझे पकाने के लिए सुअर का माँस नहीं ला कर दोगे। " बेकर ने कहा।

 

चूहा सुअर के पास गया।

 

- " सुअर जी , मुझे सुअर का माँस दो। सुअर का माँस बेकर के पास ले जाऊँगा , बेकर मुझे डबलरोटी देगा , डबलरोटी कटाई वाले के पास ले जाऊँगा , कटाई वाला मुझे घास देगा , घास गाय के पास ले जाऊँगा , गाय मुझे दूध देगी , दूध बिल्ली के पास ले जाऊँगा , बिल्ली मेरी पूँछ मुझे लौटा देगी। "

 

- " मैं तब तक सुअर का माँस नहीं दूँगा जब तक मुझे पेड़ से बांजफल  लेकर नहीं दोगे " सुअर ने कहा।

 

चूहा पेड़ के पास गया।  अभी वह ऊपर की ओर निराशा से देख ही रहा था कि किस तरह से बांजफल  प्राप्त किया जाए कि तभी अचानक एक बांजफल चूहे के सर सर पर आ गिरा।  बांजफल चूहे के सर पर इतनी ज़ोर से फूटा कि चूहा वही ढेर हो गया।

 

अगर चूहा नष्ट न हुआ होता तो शायद ये कहानी भी ख़त्म न हुई होती।

Thursday, November 14, 2024

Kutya - macska barátság :कुत्ते - बिल्ली की दोस्ती

 

 Kutya - macska  barátság

कुत्ते - बिल्ली  की दोस्ती 


एक बार कुछ कुत्तों ने शादी की दावत का आयोजन किया।  बोदरी नामक कुत्ते ने के प्रकार के पकवान पकाए  और उन पकवानों को  चखने के लिए अपने मित्र शायो नामक कुत्ते को बुलाया।  शायो ने मालपुआ चखा , लेकिन उसमे न कोई स्वाद था न कोई ज़ायका क्योंकि  उसमे दही नहीं डाला गया था।  बोदरी दही ढूँढने लगा लेकिन घर पर दही नहीं था।  उसने सोचा कि कसी को जल्दी से दूकान पर भेजना पड़ेगा। 

लेकिन कौन जाएगा ? कुत्ते ने अभी तक पकाना समाप्त नहीं किया था। उसने बिल्ली को देखा और उसे दही लाने भेज दिया। बिल्ली दही लेने दुकान की और भागी। जब दुकानदार ने दही तोल दिया  तो बिल्ली घर की और भागी।   बिल्ली भूखी थी इसलिए उसने उसमे से थोड़ा सा दही चाट लिया। एक क्षण सोचा फिर और दही खा लिया।  अब डिब्बे मैं बहुत ही थोड़ा दही बचा था। कुत्तों का घर आने वाला था , इतना थोड़ा दही ले जाने मैं बिल्ली को संकोच हुआ और उसने बचा - खुचा दही भी चट  क्र डाला।  कुत्ते उसका इन्तिज़ार कर रहे थे , उसको देखते ही भागते हुए आये और पूछा - " दही लायी हो बिल्ली ?" 

बिल्ली ने झूठ कह दिया कि दुकानदार ने दही दिया ही नहीं। लेकिन कुत्तों ने बिल्ली कि दही से सनी मूंछें देख ली। 

कुत्ते उसे पकड़ने के लिए दौड़े लेकिन बिल्ली भाग कर पेड़ पर चढ़ गयी और वहां से कुत्तों पर गुर्राने लगी। जब कुत्तों ने देखा कि  बिल्ली पेड़ से नीचे उतरने को तैयार नहीं है , तो वे घर लौट गए।और बिना दही के ही मालपुआ खाने लगे। 

तभी से कुत्तों को बिल्ली फूटी आँख नहीं सुहाती और यह दुश्मनी आज तक चल रही है 

Ghazal - Lesson - 9

 मित्रों ,

नमस्कार

हर्फे रबी, हर्फे रिद्फ, हर्फे रिद्फ मुफरद, हर्फे रिद्फ मुरक्कब, और हर्फे कैद के विषय में जाना। आगे हर्फे दखील के बारे में जानेंगे

 हर्फे दखील

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हर्फे दखील- 

हर्फे रबी के पहले यदि कोई व्यंजन अर्थात पूर्ण अक्षर हो और उसके पहले कोई दीर्घ मात्रा हो तो यह व्यंजन हर्फे दखील कहलाता है। हर्फे दखील तभी होगा जब व्यंजन के पहले दीर्घ मात्रा हो वरना दखील नहीं कहलायेगा। 

जैसे- काजल । यहां ल हर्फे रबी है और  ल केपहले पूर्ण व्यंजन ज है लेकिन उससे पहले अर्थात ज के पहले दीर्घ मात्रा आ है तो ज व्यंजन हर्फे दखील होगा।

इसी प्रकार साजन में न हर्फे रबी है ज हर्फे दखील हैं क्योंकि इसके पहले आ की दीर्घ मात्रा है।

एक और उदाहरण देखिये-

शब्द कोमल मे ल हर्फे रबी म हर्फे दखील क्योंकि इसके पहले ओ की मात्रा है।

अब ऐसा काफिया जिसमें  हर्फे दखील है तो आगे के काफिये में दखील तो बदल सकता है लेकिन उसके पहले की मात्रा नहीं बदल सकते हैं । जैसे-

कोमल, के साथ बोतल, ओझल, तो आ सकता है लेकिन ओ की मात्रा नहीं बदल सकते। हम कोमल के साथ काजल , बादल , चीतल आदि काफिये नहीं ले सकते


हर्फे दखील के अन्य उदाहरण देखें।

शीतल - हर्फे रबी ल है

      इसके पहले पूर्ण व्यंजन त है

और चूँकि त के पहले दीर्घ मात्रा ई है इसलिए त हर्फे दखील है।

यौवन - न हर्फे रबी है

   इसके पहले पूर्ण व्यंजन व है

लेकिन इस व व्यंजन के पहले  दीर्घ मात्रा औ की है इसलिए व हर्फे दखील है।

हर्फे दखील तभी होगा जब हर्फे रबी के पहले पूर्ण व्यंजन हो और इसके भी पहले दीर्घ मात्रा होना जरूरी है। यदि दीर्घ मात्रा नहीं है तो पूर्ण व्यंजन हर्फै दखील नहीं कहलायेगा। जैसे

बदन में न हर्फे रबी है

द पूर्ण व्यंजन है

लेकिन द के पहले दीर्घ मात्रा नहीं   है इसलिए द हर्फै दखील नहीं होगा।

इसी प्रकार कमर में र हर्फे रबी है

म पूर्ण व्यंजन है लेकिन इसके पहले दीर्घ मात्रा नहीं है तो म को हर्फे दखील नहीं कहेंगे।

Ghazal - Lesson - 8

 [11:53, 14/11/2024] Ram Awadh Vishvkarma 2: दोस्तो अभी तक अरूज पर  चर्चा के दौरान निम्न बातें हमारे समझ में आईं।

1. हर्फे रबी - मूल शब्द का अंतिम अक्षर

जैसे- कमल मूल शब्द काअंतिम अक्षर "ल" हर्फे रबी है

        दाम मूल शब्द काअंतिम अक्षर "म"

         समन्दर मूल शब्द काअंतिम अक्षर "र"

2. हर्फे रिद्फ - हर्फे रबी के पहले आना वाली दीर्घ मात्रा

जैसे - राज़ मे हर्फे रबी के पहले आ की मात्रा

          दहलीज में हर्फे रबी ज के पहले ई की मात्रा

          फूल में हर्फे रबी ल के पहले  ऊ की मात्रा

           क्लेश में हर्फे रबी श के पहले ए की मात्रा

           दौड़ मे हर्फे रबी ड़ के पहले औ की मात्रा

नोट - काफिया मे हर्फे रिद्फ बदला नहीं जा सकता है

         मतलब काम के साथ दाम ही आयेगा रोम नहीं

 हर्फे रिद्फ के दो प्रकार होते हैं 

1. हर्फे रिद्फ मुफ्रद

2. हर्फे रिद्फ मुरक्कब


 हर्फे रिद्फ मुफ्रद - 

हर्फे रबी के पहले जो दीर्घ मात्रा आये वो हर्फे रिद्फ मुफरद कहलायेगा। जैसे- 

काल मे ल हर्फे रबी है और आ की मात्रा हर्फे रिद्फ मुफ्रद कहलायेगा

इसी प्रकार शोर में र हर्फे रबी है और ओ की मात्रा हर्फे मुफ्रद।

 हर्फे रिद्फ मुरक्कब- 

यदि हर्फे रबी के पहले अर्ध ब्यंजन आये और उसके बाद दीर्घ मात्रा आये तो यह अर्ध ब्यंजन अर्थात आधा अक्षर हर्फे रिद्फ मुरक्कब कहलायेगा और अर्ध ब्यंजन के पहले आने वाली दीर्घ मात्रा हर्फे रिद्फ मुफ्रद कहलायेगा।

जैसे- दोस्त मे त हर्फे रबी है आधा स हर्फे रिद्फ मुरक्कब है और ओ की मात्रा हर्फे रिद्फ मुफ्रद है

नोट -  हम जब भी कोई काफिया बाधेंगे जिसमें रिद्फ मुरक्कब और रिद्फ मुफ्रद है तो हर्फे रबी के साथ हर्फे मुरक्कब और हर्फे रिद्फ मुफ्रद आना अनिवार्य होगा

जैसे- दोस्त के साथ पोस्त आयेगा  न कि कास्त। कहने का तात्पर्य है कि ओ की मात्रा आधा स और त सभी काफिये में आयेंगे।

[11:56, 14/11/2024] Ram Awadh Vishvkarma 2: हर्फे कैद - हर्फे रबी के पहले यदि आधा अक्षर आता है            तो वह आधा अक्षर हर्फे रबी के साथ कैद हो जायेगा और हर काफिये में वह अनिवार्य रूप से आयेगा

जैसे - दस्त के साथ मस्त आयेगा वक्त नहीं आयेगा

          सख्त के साथ लख्त , कमबख्त,  आयेगा

Tuesday, November 12, 2024

Ghazal Lesson 7

 [17:39, 12/11/2024] Ram Awadh Vishvkarma 2: मित्रों, 

नमस्कार

आप सबने हर्फे रिद्फ के विषय में पढ़ा और गुना लेकिन हर्फे रिद्फ के विषय में अभी कुछ जानकारी शेष रह गई है। उसका वर्णन इस प्रकार हैः

 हर्फे रिद्फ के दो प्रकार होते हैं 

1. हर्फे रिद्फ मुफ्रद

2. हर्फे रिद्फ मुरक्कब


 हर्फे रिद्फ मुफ्रद - 

हर्फे रबी के पहले जो दीर्घ मात्रा आये वो हर्फे रिद्फ मुफरद कहलायेगा। जैसे- 

काल मे ल हर्फे रबी है और आ की मात्रा हर्फे रिद्फ मुफ्रद कहलायेगा

इसी प्रकार शोर में र हर्फे रबी है और ओ की मात्रा हर्फे मुफ्रद।

 हर्फे रिद्फ मुरक्कब- 

यदि हर्फे रबी के पहले अर्ध ब्यंजन आये और उसके बाद दीर्घ मात्रा आये तो यह अर्ध ब्यंजन अर्थात आधा अक्षर हर्फे रिद्फ मुरक्कब कहलायेगा और अर्ध ब्यंजन के पहले आने वाली दीर्घ मात्रा हर्फे रिद्फ मुफ्रद कहलायेगा।

जैसे- दोस्त मे त हर्फे रबी है आधा स हर्फे रिद्फ मुरक्कब है और ओ की मात्रा हर्फे रिद्फ मुफ्रद है

नोट -  हम जब भी कोई काफिया बाधेंगे जिसमें रिद्फ मुरक्कब और रिद्फ मुफ्रद है तो हर्फे रबी के साथ हर्फे मुरक्कब और हर्फे रिद्फ मुफ्रद आना अनिवार्य होगा

जैसे- दोस्त के साथ पोस्त आयेगा  न कि कास्त। कहने का तात्पर्य है कि ओ की मात्रा आधा स और त सभी काफिये में आयेंगे।

[17:41, 12/11/2024] Ram Awadh Vishvkarma 2: नोट - मुफ्रद मतलब शुद्ध

        मुरक्कब मतलब मिश्रित

Friday, November 8, 2024

Ghazal Lesson - 6

 हर्फे रबी के बारे में आप सब  न केवल अच्छी तरह जान चुके हैं बल्कि उसे पहचान भी सकते हैं। क़ाफ़िया में हर्फे रबी होना आवश्यक है। बिना हर्फे रबी के काफिया नहीं हो सकता । क़ाफ़िया के पहले चार अक्षर हो सकते हैं जिन्हें असली कहते हैं और हर्फे रबी के बाद जुड़ने वाले चार अक्षर को वस्ली ( वस्ल माने जुड़ना) कहते हैं।

असली हरूफ हैं

हर्फे रिद्फ

हर्फे कैद

हर्फे दखील

हर्फे तासीस

हर्फे रिद्फ

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हर्फे रबी के पहले जो भी दीर्घ मात्रा होगी  वह हर्फे रिद्फ कहलायेगी। जैसे-

1. राम में हर्फे रबी म है इसके पहले आ की मात्रा है यही आ की मात्रा हर्फे रिद्फ है

2. साज़ में हर्फे रबी ज़ है हर्फे रिद्फ उसके पहले आ की मात्रा है।

3. संगीत - हर्फे रबी त है और हर्फे रिद्फ उसके पहले ई की मात्रा है

4. मंज़ूर - हर्फे रबी र है और हर्फे रिद्फ उसके पहले  ऊ की मात्रा है

5. मेल - हर्फे रबी ल है और हर्फे रिद्फ ए की मात्रा है

6. कसाई - हर्फे रबी ई है और हर्फे रिद्फ आ की मात्रा है ग़रज यह है कि हर्फे रबी के पहले जो भी मात्रा होगी वह हर्फे रिद्फ कहलायेगी।

 यह हर्फे रिद्फ हर्फे रबी के साथ बँध जाता है मतलब क़ाफ़िया मे  हर्फे रबी के बाद आने वाली मात्रा को बदल नहीं सकते हैं जैसे आपने क़ाफ़िया नाक़ाम लिया है तो अगला क़ाफ़िया में म के पहले आ की मात्रा आना आवश्यक है।  काम के साथ राम , नाम , परिणाम आदि आयेगा लेकिन 

क़ाम के साथ सोम , ओम, भीम , धूम आदि काफिया लेंंगे तो गलत होगा क्योंकि हर्फे रबी म के पहले आनेवाली मात्रा हर्फे रिद्फ  फिक्स हो गई है।

इसी प्रकार खीर क़ाफ़िया में हर्फे रबी र के पहले हर्फे रिद्फ ई की मात्रा है तो आगे काफिया मीर , पीर, हीर आदि होगा लेकिन खीर के साथ  हूर , शेर, और आदि लेंगे तो काफ़िया गलत होगा।

Tuesday, November 5, 2024

FINAL - GHAZAL BOOK

 मुक्तक :

फाइलातुन फाइलातुन  फाइलातुन फाइलुन

2122   2122   2122  212


ग़म में डूबा साज़ भी कोई  यहां  गाता नहीं 

आँख में ठहरा  हुआ आंसू कही जाता नहीं 

दिल मिरा वीरान फिर आबाद हो सकता है पर

दिलजला  कोई सनम रहने यहां आता नहीं

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 मुक्तक:

( फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन

22   22   22   22 )


अधरों की मुस्कान  बना मैं

खुशबू की पहचान बना मैं

किशना की मुरली में ढ़लकर

सूर बना रसखान बना मैं

( फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन

22   22   22   22 )

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प्रीत की एक नदी लगती हो

एक लम्हे  की सदी लगती है

आने  वाली है  कयामत अब तो 

आसमानी सी परी लगती हो


फाइलातुन  फइलातुन फैलुन

2122         1122     22

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पत्थर से  शीशा बन जाना सब के बस की बात नहीं 

सीने में ग़म को दफ़नाना सब के बस की बात नहीं 

ग़ैरों के रिसते ज़ख़्मों पर कोई भी हँस लेता है

अपने ज़ख़्मों पर मुस्काना सब के बस की बात नहीं


 फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फा

22  22  22  22 22  22  22 2

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मुस्तफ्इलुन  मुस्तफ्इलुन  मुस्तफ्इलुन
    2212       2212        2212
ठहरे हुये कितने ही पैमाने मिले
गुजरे हुये कितने ही अफसाने मिले
आँखें नहीं गहरी है कोई झील ये
डूबे हुये कितने ही दीवाने मिले
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Ghazal 

जलता हुआ चिराग़ भी बुझता हुआ लगा 
तब रात का ख़ुमार भी उतरा हुआ लगा 

कुछ रात भी उदास थी दरपन को देखकर
'उस शोख़ का मिज़ाज भी उखड़ा हुआ लगा'

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मुहब्बत को दिल में बसाये तू  रखना 

सदा शम्अ-ए-उल्फ़त जलाये तू  रखना

मिलन दो दिलों का न आसान होगा 

मगर दिल से दिल को लगाए तू रखना

फऊलुन     फऊलुन  फऊलुन फऊलुन
122   122   122   122

Friday, November 1, 2024

Ghazal - Lesson - 5 -RAV

 आज का होम वर्क

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पहले आपको बताया था हर्फे रबी के बारे में। हर्फे रबी मूल शब्द का अंतिम अक्षर होता है जैसे

कबन्द मे  द हर्फे  रबी है

राज़ में  ज़ हर्फे रबी है

किवाड़ में ड़ हर्फे रबी है

किताब में ब

जुस्तजू मे ऊ की मात्रा

गली में ई की मात्रा

वफ़ा में आ की मात्रा

जिज्ञासा में आ की मात्रा

मुड़कर में ड़ क्योंकि मूल शब्द मुड़ है और इसमें कर जोड़कर नया शब्द बना है इसलिए मुड़ का अंतिम अक्षर ड़ लिया गया है

इसी प्रकार

देखकर में ख हर्फे रबी है

समझते में झ हर्फे रबी क्योंकि मूल शब्द समझ है।

करते में र है क्योंकि मूल शब्द कर है और इसका अंतिम अक्षर र है

इसी प्रकार 

बदलने में  ल है

अब काफिया बाँधते समय हर्फे रबी का मिलान जरूरी है

एक शेर देखें

उन्हीं को पीर पयम्बर सभी समझते रहे

धरम के नाम पर जो तीन पाँच करते रहे

यह शेर बहर में है थाट भी अच्छा है। अब आप कहेंगे शेर में कोई कमी नहीं है। 

लेकिन इस शेर का काफिया गलत है

इसमें रदीफ है ' रहे' काफिया है

समझते और.करते

यहां समझ में हर्फे रबी झ है

और करते में हर्फे रबी र है

दोनों काफिये के हर्फे रबी झ और र में कोई मेल नहीं है इसलिए हर्फे रबी का मिलान न होने के कारण काफिया गलत है।

करते के साथ डरते, मरते, चरते , भरते आदि आये तो सही है

इसी प्रकार  समझते के साथ  उलझते काफिया सही होगा।