ख़दमश्री
ख़दमश्री सम्मान के लिए नामांकित उम्मीदवारों में से दो उम्मीदवारों के नाम शार्ट लिस्ट कर लिए गए थे और मंत्री जी ने अंतिम निर्णय लेना था।
अधिकारी ने दोनों उम्मीदवारों की फाइल्स मंत्री जी की मेज़ पर रखी तो मंत्री जी ने अधिकारी से दोनों उम्मीदवारों का ब्यौरा सुनाने को कहा।
" जी सर , पहले उम्मीदवार डॉ राम नरेश शर्मा है। 100 पुस्तकों के लेखक , 30 वर्षों का अध्यापन का अनुभव , पिछले 5 वर्षों में 20 पुस्तकालय खोले हैं । "
" दूसरे उमीदवार श्री चम्पत लाल , शिक्षा - सातवीं फेल , सक्रीय सामाजिक कार्यकर्त्ता , पिछले पांच वर्षों में ५ मंदिरों का निर्माण " अधिकारी उम्मीदवारों का ब्यौरा सुना कर मंत्री जी के आदेश की प्रतीक्षा करने लगा।
" पुस्तकालयों में हर रोज़ कितने लोग आते हैं ? " मंत्री ने अधिकारी से पूछा
" जी , यही लगभग 50 - 100 "। अधिकारी ने हिचकते हुए कहा।
" मंदिर में हर रोज़ कितने लोग आते हैं और चढ़ावा कितना आता है ? मंत्री ने अधिकारी से फिर पूछा
" जी , लगभग 1लाख लोग रोज़ आते हैं और चढ़ावा तो लगभग 5 लाख रूपये रोज़ का है "
अधिकारी का ब्यौरा सुन कर मंत्री जी ने श्री चम्पत लाल की फाइल पर " ख़दमश्री " की मोहर लगा दी और डॉ राम नरेश शर्मा की फाइल को डस्टबिन में डालने का आदेश दे कर अपने दफ़्तर से सीधे मंदिर के लिए निकल गए।
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस