Monday, October 28, 2024

ताज-महल

 कितने हाथों ने तराशे ये हसीं ताज-महल 

झाँकते हैं दर-ओ-दीवार से क्या क्या चेहरे 

-जमील मलिक


एक कमी थी ताज-महल में 

मैं ने तिरी तस्वीर लगा दी 

-कैफ़ भोपाली


तुम से मिलती-जुलती मैं आवाज़ कहाँ से लाऊँगा 

ताज-महल बन जाए अगर मुम्ताज़ कहाँ से लाऊँगा 

-साग़र आज़मी


इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल 

सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है 

-शकील बदायूनी


इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर 

हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़ 

-साहिर लुधियानवी

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