असर ये तेरे अन्फ़ास-ए-मसीहाई का है 'अकबर'
इलाहाबाद से लंगड़ा चला लाहौर तक पहुँचा
- अकबर इलाहाबादी
कुछ इलाहाबाद में सामाँ नहीं बहबूद के याँ धरा क्या है ब-जुज़ अकबर के और अमरूद के - अकबर इलाहाबादी
या इलाहाबाद में रहिए जहाँ संगम भी हो
या बनारस में जहाँ हर घाट पर सैलाब है
-क़मर जमील
तीन त्रिबेनी हैं दो आँखें मिरी
अब इलाहाबाद भी पंजाब है
-इमाम बख़्श नासिख़
सद्र-आरा तो जहाँ हो सद्र है
आगरा क्या और इलाहाबाद क्या
- इस्माइल मेरठी
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