असर ये तेरे अन्फ़ास-ए-मसीहाई का है 'अकबर'
इलाहाबाद से लंगड़ा चला लाहौर तक पहुँचा
- अकबर इलाहाबादी
ला-मकाँ है वास्ते उन की मक़ाम-ए-बूद-ओ-बाश
गो ब-ज़ाहिर कहने को कलकत्ता और लाहौर है
-शाह आसिम
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