Monday, October 28, 2024

गंगा

 इतना दिल-ए-'नईम' को वीराँ न कर हिजाज़ 

रोएगी मौज-ए-गंग जो उस तक ख़बर गई 

-हसन नईम


एक परिंदा चीख़ रहा है मस्जिद के मीनारे पर 

दूर कहीं गंगा के किनारे आस का सूरज ढलता है 

-नूर बिजनौरी

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