लघुकथा - कलमा
घर में क़दम रखते ही पंडित रामदास सकते में आ गए। बरसों पुराना तोता ' हरे रामा , हरे कृष्णा , कृष्णा कृष्णा हरे हरे ' का जाप छोड़ कर कलमा पढ़ रहा था। पंडित रामदास उबलते हुए चिल्लाये - " पगला गए हो मिट्ठू मियाँ , राम नाम छोड़ कर कलमा पढ़ने में लगे हो ! "
- " हाँ , हाँ , हम पगला गए हैं पंडित जी , अरे , कलमा नहो पढ़े तो क्या अपनी जान दे दे , और मेरी मानो तो पंडित जी आप भी कलमा पढ़ना शुरू कर दो। ये जुमला तो आपने सुना ही होगा - " जान है तो जहान है प्यारे ", तोता एक साँस में बोल गया . ।
अब तोता पंडित जी को कलमा सिखा रहा था और पंडित जी अटक अटक के कलमा पढ़ रहे थे।
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस
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