Tuesday, July 1, 2025

शहर और जंगल - सलीब का मूल्य

 सलीब का मूल्य 


तुम्हारी आवाज़ 

कई बार टूटी है 

दीवारों से टकरा कर 

भीड़ ने कई बार 

कुचली है तुम्हारी आवाज़ 

बेहतर होगा 

तुम कपडे उतार लो 

वार्ना भेड़िये फाड़ डालेंगे 

यक़ीन मानो 

तुम्हारी देह में  कीलें 

बिलकुल नहीं ठोकी जाएँगी 

वैसे भी 

सलीब पर टँगने का 

अब मूल्य  नहीं रहा। 

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