Tuesday, July 8, 2025

शहर और जंगल - एक और युद्ध

 एक और युद्ध 


घर की चारदीवारी में 

घुटती बीवी की आकांक्षाएँ 

बच्चों की टूटी स्लेटें 

और दफ़्तर में साहब की ख़ुशामद 

जब छोड़ जाती है दिल पर 

एक कसैली  कड़वाहट 

व्यवस्था की एक एक  शाख़ 

फूँक डालने का आक्रोश  

No comments:

Post a Comment