एक ताजा गीत
गीत
सबकुछ ठीक ठाक है फिर भी मन उदास है
सूरज की किरणें आतीं हर दिन भिनसारे
चिड़ियां भी चीं चीं करती हैं द्वार हमारे
कोयल की वाणी में भी कितनी मिठास है
सबकुछ ठीक ठाक है फिर भी मन उदास है
नीले पीले लाल गुलाबी फूल खिले हैं
छेड़छाड़ करते कलियों से भ्रमर मिले हैं
मखमल जैसी कोमल फैली हरित घास है
सबकुछ ठीक ठाक है फिर भी मन उदास है
महानगर में एक हमारा भव्य भवन है
नौकर चाकर हैं घर में भी अपनापन है
मंत्री जी का बेटा अपना बहुत खास है
सब कुछ ठीक-ठाक है फिर भी मन उदास है
नदियां भी कल कल ध्वनि से संगीत सुनातीं
और हवायें रोम रोम पुलकित कर जातीं
सुन्दर वातावरण हमारे आसपास है
सब कुछ ठीक-ठाक है फिर भी मन उदास है
राम अवध विश्वकर्मा
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