Tuesday, July 15, 2025

RAV _ Geet

 एक ताजा गीत 


गीत

सबकुछ ठीक ठाक है फिर भी मन उदास है

सूरज की किरणें आतीं हर दिन भिनसारे 

चिड़ियां भी चीं चीं करती हैं द्वार हमारे 

कोयल की वाणी में भी कितनी मिठास है

सबकुछ ठीक ठाक है फिर भी मन उदास है


नीले पीले लाल गुलाबी फूल खिले हैं

छेड़छाड़ करते कलियों से भ्रमर मिले हैं

मखमल जैसी कोमल फैली हरित घास है

सबकुछ ठीक ठाक है फिर भी मन उदास है


 महानगर में एक हमारा भव्य भवन है

नौकर चाकर हैं घर में भी अपनापन है

मंत्री जी का बेटा अपना बहुत खास है 

सब कुछ ठीक-ठाक है फिर भी मन उदास है


नदियां भी कल कल ध्वनि से संगीत सुनातीं

और हवायें रोम रोम पुलकित कर जातीं

सुन्दर वातावरण हमारे आसपास है

सब कुछ ठीक-ठाक है फिर भी मन उदास है

राम अवध विश्वकर्मा

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