Sunday, July 13, 2025

Final Geet _राह आसान नहीं है

 दर्द के समुन्दर में    पीड़ा की धार है 

आँसू की कश्ती में जाना उस पार है 


कोई तूफ़ान नहीं है , राह आसान नहीं है 



काँटों की पलकों में , आँसू छिपाती है 

सीने में   अपने ही   ग़म को सजाती है 


शाख़ अनजान नहीं है , राह आसान नहीं है 




क्षण भर का हँसना है , बरसों  का रोना है 

जाने किन हाथो का , मानव खिलौना है   


एक   पहचान नहीं है , राह आसान नहीं है 




महलों की छत पे वो ,जी भर बरसते हैं 

निर्धन के खेत पर ,  सूखे तरसते हैं 


मेघ नादान नहीं हैं , राह आसान नहीं हैं। 


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