Thursday, July 3, 2025

शहर और जंगल - अंतरराष्ट्रीय बालिका वर्ष

 अंतरराष्ट्रीय  बालिका वर्ष 


काशी से पधारे 

साधू महात्मा के चरणों मैं 

गर्भवती दुलारी ने 

जैसे ही शीश नवाया 

' कन्यावती भव ' का 

आशीर्वाद पाया 

दुलारी झटके से दो क़दम पीछे हटी 

उसकी आँखें रह गयी फटी की फटी 

' महाराज ! आप तो अन्तर्यामी हैं 

मैं तो पहले ही  दो  पुत्रियों की माता हूँ 

फिर एक और !

मुझ दुखिया को कब मिलेगा ठौर ? '

 

No comments:

Post a Comment