दिल की पुकार का, मुफ़लिस के प्यार का ।
टूटे से साज़ का , डूबी आवाज़ का ।
ज़िक्र ही करे ना जो , गीत ही वो क्या.....?
पंछी की प्यास का , बादल की आस का ।
इतिहास काल का , आगे के साल का ।
ज़िक्र ही करे ना जो , गीत ही वो क्या......?
लाजो की लाज का , जलते से आज का ।
टुकड़ों के काँच का , उठी तेज आँच का ।
ज़िक्र ही करे ने जो , गीत ही वो क्या.....?
ग़ैरों के घाव का , डूबी सी नाव का
टूट गए भाग का , तन - मन की आग का
ज़िक्र ही करे ने जो , गीत ही वो क्या
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
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