Friday, July 4, 2025

Final Geet - ज़िक्र ही करे ना जो

 दिल की पुकार का, मुफ़लिस के प्यार का ।


टूटे  से    साज़  का ,   डूबी  आवाज़  का ।


ज़िक्र ही करे ना जो , गीत ही वो क्या.....?




पंछी की  प्यास का , बादल की आस का ।


इतिहास  काल  का , आगे के  साल  का ।


ज़िक्र ही करे ना जो , गीत ही वो क्या......?




लाजो की लाज का , जलते से आज का ।


 टुकड़ों के काँच का , उठी  तेज आँच  का ।


ज़िक्र ही करे ने जो , गीत ही वो क्या.....?




ग़ैरों के  घाव का ,   डूबी सी नाव का 


टूट गए भाग का , तन - मन की आग का 


ज़िक्र ही करे ने जो , गीत ही वो क्या 



कवि - इन्दुकांत आंगिरस

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