[07:31, 06/02/2025] Ram Awadh Vishvkarma 2: हम जैसा बोलते हैं और जैसा हमारे कान सुनते हैं वैसा ही मात्रा गणना करते हैं।
[07:33, 06/02/2025] Ram Awadh Vishvkarma 2: मक़तूबी ग़ैर मलफ़ूज़ी
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ऐसे शब्द जिनकी तहरीरी शक्ल ( लिखावट) कुछ होती है लेकिन पढ़ा कुछ जाता है मकतूबी गैर मलफ़ूज़ी कहलाता है। जैसे शब्द बिल्कुल , लिखा जाता है बालकुल लेकिन पढ़ा जाता है बिल्कुल और तक्तीअ बिल्कुल मानकर की जाती है।
मलफ़ूज़ी गैर मकतूबी
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ऐसे शब्द जो आवाज़ में.शामिल हैं लेकिन लिखावट में नहीं हैं
जैसे कसदन शब्द लिखने में नून मतलब "न " अक्षर नहीं है लेकिन उच्चारण में न आता है इसलिए इसकी तक्ती करते समय न अक्षर भी शामिल कर 22 मात्रा मानेंगे
सहमत... स्कूल लिखने में 'इ' अक्षर नहीं आता है पर उच्चारण में आता है अतः स्कूल में 5 मात्राएं होनी चाहिए पर लिखने पर 3 मात्राएं गिनी जाएंगी l क्यों न ऐसे प्रयोग से बचा जाय थोड़ा सा परिवर्तन करके l
यह छन्द शास्त्र के अनुसार सही है। हर चीज का अपवाद भी होता है जैसे
नन्हे इसकी मात्रा लिखने के अनुसार इ+न्हे = 12 है । अब आप कहेंगे कि आधा अक्षर न अपने पूर्ववर्ती अक्षर इ की मात्रा को दुगना करेगा और मात्रा 22 होगी तो क्या यह सही ? नहीं न । यहां उच्चारण को प्राथमिकता दी गई है।
यहां लिखे अनुसार नहीं है।
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