Friday, February 14, 2025

लघुकथा - वाटरप्रूफ डुबकी

 वाटरप्रूफ डुबकी 


प्रयागराज में महाकुम्भ के दौरान जब प्रधानमंत्री  ने गंगा  स्नान की इच्छा ज़ाहिर करी तो दरबार में उपस्तिथ सभी मंत्रियों ने  अपना समर्थन दिया लेकिन चाणक्य , प्रधानमंत्री के इस विचार से सहमत नहीं  था ।  चाणक्य  ने इस बावत प्रधानमंत्री से कहा ," अन्नदाता , प्रयागराज महाकुम्भ में करोड़ों लोग आ गए हैं अपने अपने पाप धोने। उनके पाप धुलेंगे या नहीं ये तो ईश्वर जाने लेकिन गंगा ज़रूर मैली हो जाएगी और अगर इस समय आप ने गंगा में स्नान किया तो गंगा के दूषित जल से आपकी काया भी दूषित हो जाएगी। "

लेकिन प्रधानमंत्री ने चाणक्य की सलाह को नज़रअंदाज़   करते हुए कहा , ' चाणक्य , कुछ भी हो ,महाकुम्भ में गंगा स्नान के पुण्य से करोड़ों लोगों की आस्था जुडी है , अगर ऐसे में देश का राजा ही महाकुम्भ में स्नान नहीं करेगा तो ये दुनिया क्या कहेगी ? "

चाणक्य में प्रधानमंत्री के निर्णय का विरोध करने की क्षमता नहीं थी। चाणक्य ने एक गहरी साँस छोड़ी और एक वाटरप्रूफ जैकेट प्रधानमंत्री को दे दी। 

अगले दिन प्रयागराज के महाकुम्भ में गंगा स्नान करते राजा की तस्वीरें सभी अखबारों के मुखपृष्ठ पर थी जिनमें प्रधानमंत्री  लाल रंग की वाटरप्रूफ जैकेट पहन के गंगा स्नान कर रहे थे।  05-02-2025 की ये ख़बर और प्रधानमंत्री की डुबकी की तस्वीरें तो  अख़बारों  में  आपने भी देखी होंगी। अरे , हैरान मत होइए , AI का युग ज़रूर है लेकिन प्रधानमंत्री  असली है ,गंगा भी असली है  डुबकी भी असली है , लाल रंग की जैकेट भी असली है , बस आस्था ने अपना फैशन बदल लिया है। 


लेखक - इन्दुकांत आंगिरस 

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