महाकुम्भ की मोनालिसा
जब प्रयागराज में महाकुम्भ के दौरान गंगा की लहरों की तरफ़ बढ़ते करोड़ों क़दम अचानक दूसरी ओर मुड़ गए तो गंगा , यमुना ओर सरस्वती तीनो नदियाँ विस्मय में डूब गयीं। उन्हें ये देख कर हैरानी थी कि करोड़ों क़दम जिस ओर मुड़ रहे थे वो कोई फूल बचने वाली मामूली लड़की नहीं अपितु बादामी आँखों वाली बहुत ख़ूबसुरता कुदरती करिश्मा मोनालिसा थी। उसकी बादामी आँखों में डुबकी लगाने वाले करोड़ों लोग अब त्रिवेणी संगम में स्नान करने का विचार त्याग चुके थे ओर मोनालिसा की बादामी आँखों में डुबकी लगाने का बाद सीधे अपने अपने घरों को लौट रहे थे। यह देख कर गंगा , यमुना ओर सरस्वती का दिल उदास हो गया था लेकिन उन्हें इस बात की ख़ुशी भी थी कि उन्हें उन करोड़ों लोगो के पाप धोकर और अधिक दूषित नहीं होना पड़ेगा। उधर मोनालिसा की बादामी आँखों का रंग तो नहीं बदला लेकिन वो बादामी आँखें कुछ मटमैली तो हो ही गयी थीं ।
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस
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