लघुकथा - आज की लघुकथा
लघुकथा लेखन कोई मज़ाक नहीं , देखने में जितना सरल लगता है लिखने में उतना ही कठिन। चंद शब्दों को जोड़ कर चंद पंक्तियाँ ही तो लिखनी है लेकिन शब्दों का ये जोड़ - तोड़ भी तो इतना सरल नहीं। ऐसे में रोज़ एक लघुकथा लिखना तो पहाड़ काट कर सड़क बनाने जैसा काम हुआ और ऐसा काम तो सिर्फ वो कर सकता है जो किसी के इश्क़ में दीवाना हो , मसलन फ़रहाद जिसने शीरीं की मुहब्बत में पहाड़ काट कर सड़क निकाल दी थी। मुझे भी तो लघुकथा से इश्क़ हो चुका है।
मैं लघुकथा के इश्क़ मैं दीवाना हो कर रोज़ एक लघुकथा रचता हूँ। आज की लघुकथा तो हो गयी ना। छोड़िये दुनियादारी , इसे पढ़ें , सुने और इसका लुत्फ़ उठायें।
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस
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