पुरस्कार का बाज़ार
जी हाँ , बिलकुल ठीक पढ़ा - सुना आपने। पुरस्कारों का भी एक बाज़ार होता है जहाँ पुरस्कारों की ख़रीद - फ़रोख़्त होती हैं। आजकल साहित्य के क्षेत्र में यह बाज़ार उछाल पर है। किसी को भी कोई भी पुरस्कार उपलब्ध कराया जा सकता है , विशेषरूप से कुकुरमुत्ता की तरह उगती साहित्यिक संस्थाओं में तो पुरस्कारों की बरसात हो रही हैं। जुम्मा जुम्मा चार दिन से लिखना शुरू किया तो स्वयं को लेखक और साहित्यकार कहने लगे। यह सुनहरी मौका हाथ से ना जाने दें। फेसबुक और व्हाट्सप्प पर मिल जायेंगीं आपको ऐसी हज़ारों संस्थाएं जो आयोजित -प्रायोजित पुरस्कारों को बाँट रही हैं और डिजिटल सर्टिफिकेट तो मुफ़्त बँटते हैं।
पुरस्कारों के भाव इस समय बहुत कम हैं , समय न गँवाए । मुस्कुराते हुए माला पहने और पहनाएँ।
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस
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