आज भी कोई
उतरी नहीं कविता
संवेदनाओं के
आसमान से
आज भी मैं
रह गया रीता
आज भी उलझा रहा
मैं बदन के जंगल में
आज भी रूह से
मुलाक़ात न हो पाई
हृदय का ज़जीरा
सूख गया है शायद ।
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
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