जन गण मन ....
किसी भी राष्ट्र का राष्ट्र गान उस राष्ट्र के गौरव का प्रतीक होता है। इस दिशा में भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने महत्त्वपूर्ण क़दम उठाया। अब सिनेमा घरों में फ़िल्म के आरम्भ होने से पूर्व राष्ट्र गान बड़े परदे पर गाया जाता है और सभी दर्शक खड़े हो कर इसको गाते हैं। ऐसे ही एक अवसर पर फ़िल्म शुरू होने से पहले राष्ट्र गान के लिए सभी खड़े हो गए लेकिन मेरे बराबर वाली सीट पर बैठा प्रेमी युगल अपनी सीट पर ही बैठा रहा। मुझे ये सरासर राष्ट्र - गान की तौहीन लगी और राष्ट्र गान समाप्त होने पर मैंने उनसे पूछा - क्या मैं जान सकता हूँ कि राष्ट गान के लिए आप अपने स्थान पर खड़े क्यों नहीं हुए ?
युवक ने तपाक से जवाब दिया - "यह कोई स्कूल नहीं हैं। हम यहाँ फ़िल्म देखने और एन्जॉय करने आएँ हैं। "
उसका जवाब सुन कर मैं तिलमिला उठा और न चाहते हुए भी मेरे मुँह से निकल पड़ा - "ओह , तो जनाब के लिए प्रेम ज़्यादा ज़रूरी हैं लेकिन जो अपने देश से प्रेम नहीं कर सकता वो और किसी से क्या प्रेम करेगा ? जनाब का प्रेम एक छलावा हैं और कुछ भी नहीं.....
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस
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