Thursday, December 31, 2020

कीर्तिशेष आचार्य सर्वेश चंदौसवी - 2020 और 20 किताबें

 


उर्दू अदब की दुनिया में उस्ताद और शागिर्द की रवायत बहुत पुरानी है , विशेषरूप से साहित्य और संगीत  के क्षेत्र में उस्ताद - शागिर्द की परम्परा सदियों से चली आ रही है।  यूँ तो गुरु -शिष्य की परम्परा हिन्दी साहित्यिक संसार में भी है लेकिन बहुत हद तक धार्मिक गुरु और शिष्य ही देखने को मिलते हैं या फ़िर चंद मिसालें  संगीत के क्षेत्र में पाई जा सकती हैं। हिन्दी  साहित्य के क्षेत्र में  गुरु-शिष्य की परम्परा लगभग लुप्त है क्योंकि अधिकतर हिन्दी कवि स्वयं को ही किसी गुरु से कम नहीं समझते। अपना ही एक शे'र ज़हन में आ गया -


  आज घर घर में हैं अदीब "बशर "

   कौन घर  जाए अब   अदीबों के 


        कीर्तिशेष आचार्य सर्वेश चंदौसवी उस्तादों के उस्ताद थे और उर्दू ग़ज़ल और उरूज़ में उन्हें महारत हासिल थी। सं २०१४ से उनकी किताबों के प्रकाशन का सिलसिला शुरू हुआ , २०१४ में १४ किताबें , २०१५ में १५ किताबें ,२०१६ में १६ किताबें , २०१७ में १७ किताबें , २०१८ में १८ किताबें , २०१९ में १९ किताबें और योजनानुसार २०२० में २० किताबों का प्रकाशन होना था लेकिन 25 मई ' 2020 को सर्वेश जी  इस दुनिया को अलविदा कह गए और उनका बीस किताबों का सपना अधूरा  रह गया।  

    

 आचार्य सर्वेश चंदौसवी के इस अधूरे सपने को उनके शिष्यों ने पूर्ण कर साहित्यिक संसार में एक अद्भुत मिसाल दी है ।  27 दिसंबर 2020 को आचार्य सर्वेश चंदौसवी जी के  20 ग़ज़ल संग्रहों का लोकार्पण दिल्ली के हिन्दी भवन में गरिमापूर्ण संपन्न हुआ।  पदमश्री सुरेंद्र शर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुए इस कार्यक्रम  में देश के अनेक सुप्रसिद्ध कवियों ,शाइरों एवं लेखकों ने शिरकत  फ़रमाई  जिनमें  सर्वश्री क़तील शिफ़ाई , सीमाब सुल्तानपुरी , मंगल नसीम , कीर्ति काले  , राजेश चेतन , जगदीश मित्तल , मोईन अख़्तर अंसारीविजय स्वर्णकार , अरविन्द असर , अजय चौधरी के नाम उल्लेखनीय  हैं 

आचार्य सर्वेश चंदौसवी जी के शागिर्द सर्वश्री विजय स्वर्णकार , अनिल मीत, प्रमोद असर, रसिक गुप्ता,राजेंद्र कलकल ,बलजीत कौर  , शुभी सक्सेना     ने अपने गुरु जी के चरणों में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। 


इस भव्य साहित्यिक कार्यक्रम के आयोजन के लिए दिल्ली की साहित्यिक संस्था " साहित्य सरगम " निश्चय ही बधाई की पात्र है।  कार्यक्रम का संचालन अनिल रघुवंशी ने किया। 


जन्म - 1 जुलाई ' 1949 , चंदौसी -उत्तर प्रदेश 

निधन - 25 मई ' 2020 - दिल्ली



NOTE : सर्वेश जी के शागिर्द  विजय स्वर्णकार और  अनिल मीत को उनके सहयोग के लिए शुक्रिया । 

अपने इसी ब्लॉग पर १६ नवंबर २०२० को मैंने आचार्य सर्वेश चंदौसवी जी के  बारे में कुछ विचार रखे थे, अगर आपने पहले न पढ़ें हो तो अब पढ़ सकते हैं - https://adbiyatra.blogspot.com/

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