Sunday, December 13, 2020

हंगेरियन कविता - Altató का हिन्दी अनुवाद


                                                            
József Attila


अत्तिला  योझफ हंगरी के प्रसिद्ध  कवि है। हंगरी   में ११ अप्रेल ,  राष्ट्रिय कविता दिवस के रूप में मनाया जाता है जोकि अत्तिला  योझफ का जन्म  दिवस है।  बुदापैश्त में डेन्यूब नदी के किनारे उनकी सुन्दर मूर्ति भी देखी जा सकती है। आइए , आज पढ़ते हैं उनकी एक कविता का हिन्दी अनुवाद। 



Altató - लोरी


आकाश ने मूँदी नीली आँखें 

घर में मूँदी सबने आँखें 

रजाई में सोयें हरे मैदान 

चैन से सोओ तुम बलाज़


पैरों पर रख  सर को अपने 

कीड़ा ,मक्खी सोयें भैया 

उनके साथ सोयें ततैया 

चैन से सोओ तुम बलाज़


ट्राम भी थक कर सो गयी 

ऊँघ रही है खखड़ाहट 

सपने में बजती थोड़ी -सी 

चैन से सोओ तुम बलाज़


कुर्सी पे रखा कोट भी सोया 

उधड़न   भी अब ऊँघ रही 

बस और नहीं उधड़ेगी अब 

चैन से सोओ तुम बलाज़


ऊँघती गेंद ,एक जाम और 

जंगल की कर लो सैर और 

मीठी चीनी भी सो गयी 

चैन से सोओ तुम बलाज़


दूरिया सब कंचों की मानिंद 

बड़े हो कर सब पाओगे 

मूँद लो नन्हीं आँखें अपनी 

चैन से सोओ तुम बलाज़


सैनिक , फ़ायरमैन बनोगे 

या तुम बनोगे चरवाहे ?

देखो, सो गयी माँ तुम्हारी 

चैन से सोओ तुम बलाज़



कवि - József Attila

जन्म -  11th April ' 1905 - Budapest

निधन - 03rd December ' 1937  - Balatonszárszó


अनुवादक -इन्दुकांत आंगिरस 


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