Én nem mozdultam - मैं हिला भी नहीं था
पुरानी डगर पर फ़िर से आख़िर तक गया था
इक पतझड़ी जंगल की मानिंद दबे पावँ गया था
जैसे जाती हुई गरमी में क़ालीन पे पड़े मिरे पावँ
जैसे मेरी आत्मा के सन्नाटें में पसरती पत्तियाँ
शायद मैं गया नहीं था ? शायद कभी नहीं गया
जैसे पतझड़ी जंगल में लगातार गिरती पत्तियाँ
धुँधलाता सूरज स्मृति में अतीत-सा बन गया
मैं पत्थर -सा ,झड़ती पत्तियों के नीचे खड़ा था
एक बार फ़िर से तीसा* के किनारे खड़ा था
वहीं , जहाँ मेरी तमन्ना झरने की बूँदों में भीगी
जिसके साथ मैं दूर तक भटकता रहा था
लेकिन मेरी तमन्ना वहाँ मौन प्रतीक्षारत थी
वहीं, उसी राह पर जहाँ अनेक दिन गुज़ारे थे:
क्यूँकि ठहरी है तीसा* और ज़मीन बह रही है ।
कवि - Balázs Béla
जन्म - 4 अगस्त ' 1884 - Szeged
निधन - 17 मई ' 1949 - Budapest
अनुवादक -इन्दुकांत आंगिरस
NOTE - तीसा* यूरोप की इक मुख्य नदी है जो हंगरी में उत्तर दिशा से दक्षिण की ओर बहती है।
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