Kazinczy Ferenc ने १९वी शताब्दी के आरम्भ में हंगेरियन भाषा और हंगेरियन साहित्य के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके अथक प्रयासों से ही १८४४ में हंगेरियन भाषा हंगरी राष्ट्र की राष्ट्र भाषा बनी। Kazinczy Ferenc कवि के साथ साथ लेखक और अनुवादक भी थे। हंगेरियन भाषा से सम्बंधित उनकी कुछ क्षणिकाओं का हिन्दी अनुवाद पढ़ें -
A nagy titok - बड़ा रहस्य
अगर ठीक और बढ़िया होने के बीच छुपे रहस्य को नहीं समझते
तो बस खेती-बाड़ी करो और बलिदान को दूसरों के लिए छोड़ दो
A Kész irók - पूर्ण लेखक
लूले -लंगड़े हो कर भी नाचते हो ,लिखते हो पर भाषा से अज्ञान
पंख तो तुम्हारे हैं ही नहीं , बस चुप रहो और भरो उड़ान
Misoxenia - परदेसियों से नफ़रत
सुख नहीं चाहिए गर उसमे मानवता औ वतनपरस्ती न हो
मेरे लिए मानवता बस , बुदा और पैश्त मेरे असली घर हों
Irói érdem - लेखकीय मान्यताएँ
कहो कौन हो तुम ? अब नहीं कहूँगा , तुम से परिचित हूँ
मेरे लिए खाली बकवास किसी बकवास से कम नहीं है
बढ़िया वाइन में रंग , ज़ायका और तपिश होनी चाहिए
उस्ताद के कलाम में रस ,ज़ायका और आग होनी चाहिए
कवि - Kazinczy Ferenc (1759-1831)
अनुवादक -इन्दुकांत आंगिरस
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