Wednesday, December 9, 2020

Tetőn - शिखर पर


 साहित्य संसार में यह अक्सर देखने को मिलता है कि कोई कवि या लेखक दूसरे कवि या लेखक से इतना मुतासिर होता है कि उसकी याद में कोई कविता या संस्मरण लिख डालता है। Károly Kós हंगरी के प्रसिद्ध लेखक , वास्तुकार ,कलाविद एवं राजनीतिज्ञ थे। Hervay Gizella ने प्रस्तुत कविता उन्हीं  को समर्पित की है  । 


Tetőn - शिखर पर


Kós Károlynak - कारोयी कोश के नाम 


पतझड़ ने इतने पत्तों को  कभी नहीं गिराया 

और  इतना  डरावना शब्द -सब   रीत गया 


कई दिनों  भटका,रातों को भी सो न सका 

और इतवार की सुबह मैं  पहाड़  पर गया 


वहाँ नीचे घाटी में पसरा था  तन्हा अँधेरा 

यहाँ ऊपर पुराना पहाड़ था अचल खड़ा 


नंगे शिखर देखते असीमता को सदियों से 

मंज़र बनाया था साफ़ दमकती रौशनी ने 


वहाँ नीचे कसमसाती थी   घाटी ताप से 

यहाँ ऊपर सफ़ेद पनीर परोसते चरवाहे 


शान्ति का शब्द उभरता  उसके होंठों पे 

करता  है  प्रतीक्षा वो  शान्ति से बाड़े में 


दूर  जहाँ बर्फ़ का  राजा करता था राज 

आकाश ने फैलाया असीम परचम आज 


पंख मेरी उड़ान के तब टूट गए थे सब 

समेटे थे  बाँहों में लहरों के क्षितिज सब 


देखकर शिखरों को यूँ ही सदियों से 

यही रहस्य्मय शब्द निकला होठों  से -

ट्रान्सिलवानिया  



कवि - Hervay Gizella 

जन्म - 10 अक्टूबर ' 1934- Makó

निधन -  02 जुलाई ' 1982 - Budapest


अनुवादक - इन्दुकांत आंगिरस


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