Saturday, July 25, 2020

महेश्‍वरी निगम और उनका काव्य संग्रह - राम सागर

मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम को केंद्रित कर ऋषि वाल्मीकि ने रामायण की रचना करी और तुलसीदास ने रामचरितमानस रची।  भारत की दूसरी भाषाओँ में भी रामायण की रचना करी गयी।  रामानंद सागर का दूरदर्शन धारावाहिक 'रामायण ' द्वारा  श्री राम की कथा को  अत्यंत रोचक ढंग से जन जन तक पहुंचाया गया।


स्वर्गीया महेश्‍वरी  निगम का जन्म लखनऊ में हुआ और पेशे से वो अध्यापिका थी।  आपको संगीत का भी शौक़ था।  बैंगलोर के ' साहित्य साधक मंच' में आप नियमित रूप से शिरकत फ़रमाती और लोक गीतों की धुन में अपने गीत पढ़ कर श्रोताओं को भाव विभोर करती थी । उनके निवास स्थान पर मेरी अक्सर उनसे अंतरंग बातें भी होती थी और मुझे सदैव उनका आशीर्वाद मिलता रहता था

श्रीमती महेश्‍वरी  निगम ने वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण से प्रेरित हो कर ' राम सागर ' की रचना कर डाली।इस पुस्तक में श्री राम के जन्म से लेकर लव-कुश तक का प्रसंग छंदोबद्ध समाहित है। ७२ पृष्ठों की  इस पुस्तक में  १२६ छंद हैं। इन छंदों की भाषा अत्यंत सहज और सरल हैं और यदा-कदा अवधी भाषा के शब्दों ने इसकी सुंदरता में चार चाँद लगा दिए हैं। उनकी भाषा में लखनऊ की नफ़ासत देखने को मिलती हैं।

अपनी पुस्तक ' राम सागर ' के माध्यम से उन्होंने श्री राम की कथा को काव्य रूप में प्रस्तुत किया जोकि सभी आयुवर्ग की पाठकों के लिए पठनीय हैं। पुस्तक से उद्धृत कुछ छंद देखे -

 जिनकी महिमा ऋषि मुनियों 
 ने ,     अपरम्पार      बताई 
 वहीं राम की    गाथा लिखने
 मेरी           लेखनी      आई  

रामचंद्र का    यशोगान ये 
जो        नर - नारी   गायेंगे
कहे 'महेशवरी निगम' सहज 
भवसागर    से   तर जायेंगे

इस पुस्तक में एक और दिलचस्प संयोग देखने को मिलता हैं -

१२६ छंदों की संख्या का जोड़ -  ९
७२ पृष्ठों की संख्या का जोड़   -   ९
उनकी जन्मतिथि का जोड़     -    ९

९ का अंक अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।  जैसा कि सभी को मालूम हैं कि संख्या १०८ हिन्दू धर्म में एक  पवित्र संख्या हैं।१०८ की संख्या ९ अंक से पूर्ण रूप से विभाजित हो जाती है।


राम सागर का विमोचन तो उनके जीवन काल में ही हो गया था लेकिन अभी भी उनका बहुत -सा साहित्य अप्रकाशित है , आशा है हमे शीघ्र  ही उनका शेष साहित्य भी पढ़ने को मिलेगा।

4 comments:

  1. मैं और श्रद्धेय माहेश्वरी निगम जी का विद्यालय एक था उन्होंने मेरे जन्म से पहले शिक्षा प्राप्त की थी। उनसे परिचय अति सुखद अनुभव था। रामसागर अतुलनीय रचना है।

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    1. महोदय, कृपया अपना और अपने विद्यालय का परिचय दीजिए जिससे पाठक कवित्री के जीवन के परिदृश्य स्पष्ट रूप से जान सकें।
      आभार सहित,
      के एन कौशिक

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  2. पाँच अगस्त बस पांच नही,
    यह पंचामृत कहलायेगा!
    एक रामायण फिरसे अब,
    राम मंदिर का लिखा जाएगा!!

    जितना समझ रहे हो उतना,
    भूमिपूजन आसान न था!
    इसके खातिर जाने कितने,
    माताओं का दीप बुझा!!

    गुम्बज पर चढ़कर कोठारी,
    बन्धुओं ने गोली खाई थी!
    नाम सैकड़ो गुमनाम हैं,
    जिन्होंने जान गवाई थी!!

    इसी पांच अगस्त के खातिर,
    पांचसौ वर्षो तक संघर्ष किया!
    कई पीढ़ियाँ खपि तो खपि,
    आगे भी जीवन उत्सर्ग किया!!

    राम हमारे ही लिए नही बस,
    उतने ही राम तुम्हारे हैं!
    जो राम न समझसके वो,
    सचमुच किस्मत के मारे हैं!!

    एक गुजारिस है सबसे बस,
    दीपक एक जला देना!
    पाँच अगस्त के भूमिपूजन में,
    अपना प्रकाश पहुँचा देना!!

    नही जरूरत आने की कुछ,
    इतनी ही हाजरी काफी है!
    राम नाम का दीप जला तो,
    कुछ चूक भी हो तो माफी है!!

    कविता नही यह सीधे सीधे,
    रामभक्तो को निमन्त्रण है!

    असल सनातनी कहलाने का,
    समझो कविता आमंत्रण है!!

    *जय श्रीराम* 💐💐💐

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  3. बहुत सुन्दर कविता।

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