ख़ुसरों दरिया प्रेम का ,उलटी वा की धार
जो उतरा सो डूब गया ,जो डूबा सो पार
अमीर ख़ुसरो का उपरोक्त शे'र प्रेम की एक ऐसी परिभाषा है जिसे जितना खोलते है वो उतना ही उलझती जाती है। दुनिया में दो ही चीज़ें ऐसी हैं जिन्हें जितना ख़र्च किया जाया वो उतना हमको मालामाल करती हैं। ये दो चीज़ें हैं - इश्क़ और इल्म।
मुहब्बत से ज़ुल्मत ने काढ़ा है नूर
न होती मुहब्बत न होता ज़हूर
महाकवि मीर तक़ी 'मीर ' ने , जिन्हे लोग ख़ुदा-ए-सुख़न भी कहते है , उपरोक्त शे'र में मुहब्बत को परिभाषित किया है। उनके वालिद अलीमुत्तक़ी अपने ज़माने के मशहूर फ़क़ीर थे। एक दिन उन्होंने अपने बेटे 'मीर' को अपने नज़दीक बुला कर प्रेम के बारे में कुछ यूँ कहा -
" बेटे ! प्रेम कर क्यों कि यह संसार प्रेम के आधार पर टिका है। यदि प्रेम न होता तो यह संसार भी नहीं होता। बिना प्रेम के यह जीवन नीरस है। अपने हृदय को प्रेम में मतवाला बना दे। प्रेम बनाता भी है और जलाता भी है। इस संसार में जो कुछ भी है वो प्रेम का ज़हूर है। आग प्रेम की जलन है। जल प्रेम की गति है। मिट्टी प्रेम का ठहराव है और वायु प्रेम की बेकली है। मौत प्रेम की मस्ती है और जीवन प्रेम का होश। रात प्रेम की नींद है और दिन प्रेम का नींद से जागना। मुसलमान प्रेम की सुंदरता है और क़ाफ़िर प्रेम का नतीजा। भलाई प्रेम के क़रीब होना है और पाप प्रेम से दूर जाना है। स्वर्ग प्रेम की चाह है नरक उसका रस। भक्ति ख़ुदा को पहचानना है , प्रेम सत्य का ख़ुलूस है। ख़ुदा को पाने की लगन वास्तविकता की चाह में स्वयं को भुला देना और ख़ुदा से फिर एक लगाव अनुभव करना है। इन सारी वस्तुओं से प्रेम का दर्ज़ा ऊँचा है। यहाँ तक कि कुछ लोगों के निकट आकाश का चक्कर भी इसलिए है कि वह अपने प्रियतम को न पा सका। "
इसलिए अगर आपने अभी तक प्रेम नहीं किया है तो ज़रूर करिये..........कम से कम एक बार।
प्रेम की सुंदर व्याख्या
ReplyDeleteबहुत खूब ।
ReplyDeleteWaah Huzur Waah 💎🙏Prem gali badi Saakri jaame dui na samaay 💝💐🙏
ReplyDeletePrem Sagar hai. Dharti Chand ka chumban isko tabah karta hai. Lekin sagar dobara nischal, param shant ho jata hai pahle ke saman. Prem bhawnaon ki lahar, tufan hota hai. Lekin sadbhawana atal hoti hai prem ki.
ReplyDeletePrem Sagar hai. Dharti Chand ka chumban isko tabah karta hai. Lekin sagar dobara nischal, param shant ho jata hai pahle ke saman. Prem bhawnaon ki lahar, tufan hota hai. Lekin sadbhawana atal hoti hai prem ki.
ReplyDeletePrem Sagar hai. Dharti Chand ka chumban isko tabah karta hai. Lekin sagar dobara nischal, param shant ho jata hai pahle ke saman. Prem bhawnaon ki lahar, tufan hota hai. Lekin sadbhawana atal hoti hai prem ki.
ReplyDeleteबहुत अच्छी पहल, इस अर्थ से डूबे समाज में।ईश्वर आपको सफलता दे।
ReplyDeleteकुछ न कुछ छूटना लाज़मी है*
ReplyDeleteआज यूँही ख्याल आया कि
अखबार पढ़ा तो प्राणायाम छूटा
प्राणायाम किया तो अखबार छूटा
दोनों किये तो नाश्ता छूटा
सब जल्दी जल्दी निबटाये
तो आनंद छूटा
मतलब.....
कुछ ना कुछ छूटना लाज़मी है
हेल्दी खाया तो स्वाद छूटा
स्वाद का खाया तो हेल्थ छूटी
दोनों किये तो.....
अब इस झंझट में कौन पड़े.
मुहब्बत की तो शादी टूटी
शादी की तो मुहब्बत छूटी
दोनों किये तो वफा छूटी
अब इस पचड़े में कौन पड़े..
जो पी तो गृहस्थी टूटी
जो ना पी तो सुकून छूटा
जो दोनों जिये तो..
शायद सच बोलना छूटा
आप बेहतर जानते होंगे
मैं तो पीती नहीं।
जो चखी तो स्वाद मुँह को लग गया
जो ना चखी तो
पीने के सुरुर का एहसास छूट गया
मतलब.....
कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है
जो जल्दी की तो समान छूट गया
जो ना की तो ट्रेन छूट गयी
जो दोनों ना छूटे तो
विदाई के वक़्त गले मिलना छूट गया
मतलब...
कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है
औरों का सोचा तो मन का छूटा
मन का लिखा तो तिस्लिम टूटा
खैर हमें क्या..
खुश हुए तो हँसाई छूटी
दुःखी हुए तो रुलायी छूट गयी
मतलब...
कुछ ना कुछ छूटना लाज़मी है
-निर्मल
आप की कविता दिलचस्प है , आप कौन है ? मुझे इ-मेल करे -angirasik@gmail.com
Deleteअति सुन्दर! आपने बड़ी सहजता के साथ समझाया कि प्रेम के बिना यह जीवन नीरस है। मुझे तो यह लगता है की प्रेम के बिना जीवन हीं नहीं।
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