Tuesday, July 21, 2020

एक अनार सौ बीमार

    मख़्सूस हो चुकी हैं   इरादी ग़ुलामियाँ   
    है एक अनार सैकड़ों बीमार आजकल

 जनाब परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़  का उपरोक्त शे'र आजकल  के हालात पर काफी सटीक बैठता है लेकिन अनारों की बाते हम सदियों  से सुनते आ रहे हैं। अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हम ऐसी कितनी ही आदतों के ग़ुलाम बन चुके हैं जो किसी ने किस रूप में हमारी सेहत पर असर डालती है।  डॉक्टर कहता है कि अगर रोज़ एक सेब खाया जाए तो आदमी बीमार ही नहीं पड़ेगा। अँगरेज़ी भाषा की  मशहूर कहावत -
An apple a day ,keeps the doctor away.  किसने नहीं सुनी होगी, लेकिन क्या हम सब रोज़ सेब खाते हैं ? बहुत से लोग तो इसी बात से घबरा जाते हैं कि आदम ने पहला सेब खाया था और वो इश्क़ के मर्ज़ में आज तक बीमार चल रहा है ,फिर हम जैसे लोग सेब खा कर कब तक तंरुस्त रह पाएंगे।  कुछ भी हो  ,अगर एक बार बीमार पड़ जाए तो तबीयत ठीक करने में  अनार बड़ा मुफ़ीद है ,पर अनारआसानी से  मिलते कब है।कुछ लोग तो अनारों की  तमन्ना में ज़िंदगी में बार बार बीमार पड़ते रहते हैं।  इश्क़ की राह में ऐसे मरीज़ों की कमी नहीं।

जनाब आग़ा अकबराबादी ने शायद सेब और अनार दोनों का ही लुत्फ़ उठाया होगा , तभी तो उन्होंने लिखा -

   हैं सेब से भी वो ........... सख़्त
   आगे     उनके  अनार   क्या हैं


  
काफी उधेड़बुन  के बाद जनाब आग़ा अकबराबादी से क्षमा मांगते हुए मैंने उपरोक्त शे'र के उला मिसरे के एक लफ्ज़ को रिक्त बिंदुओं में बदल दिया है।  जो लोग इस रिक्त स्थान में  सही लफ्ज़ नहीं भर पाए  वो शायद  अभी तक रिक्त हैं और जो महानुभाव रिक्त स्थान में सही लफ्ज़ भर लेंगे , उन विद्वानों को मेरा प्रणाम। 

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