Saturday, September 5, 2020

Róka fogta csuka ,csuka fogta róka - लोमड़ी ने मछली को पकड़ा , मछली ने लोमड़ी को पकड़ा ( हंगेरियन लोक कथा का हिन्दी अनुवाद )

 Róka fogta csuka ,csuka fogta róka 

लोमड़ी ने मछली को पकड़ा  , मछली  ने लोमड़ी को पकड़ा  


             प्राचीन समय की बात है , एक मोची ने एक लोमड़ी को झील किनारे देखा जोकि मछलियों को पकड़ने की कोशिश कर रही थी।  एक मछली को वहाँ तैरता देख लोमड़ी ने उसे झपट्टा मार कर पकड़ लिया , लेकिन मछली ने भी अपना बड़ा मुहँ खोला और लोमड़ी की पूँछ अपने दाँतों में दबा ली।  कोई भी एक दूसरे  को छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। मोची को यह बड़ा हास्यप्रद लगा और उसने सोचा कि शायद राजा मात्याश भी इनको इस रूप में देख कर आनंदित होंगे। 

मोची उन दोनों को पकड़ राजा मात्याश को दिखाने चला।  वह उनको राजा के पास ज़रूर ले जा पाता अगर राजमहल के आगे खड़े पहरेदार ने उसे रोका नहीं होता। " मैं तुम्हें राजा के पास तभी जाने दूँगा जब तुम मुझे राजा से मिले इनाम में से आधा  मुझे देने का वा'दा करोगे  " - पहरेदार  ने मोची से कहा।  

मोची किसी भी क़ीमत पर इनाम पाना चाहता था इसलिए उसने पहरेदार की शर्त मान ली। लेकिन राजा के कमरे के आगे खड़े पहरेदार ने भी पहले वाले पहरेदार की तरह उससे आधे इनाम की माँग करी।  जब मोची ने इस पहरेदार से भी आधा इनाम  देने का वा'दा कर लिया तब कही जा कर वह राजा के सामने पहुँच  पाया। 

" तुम क्या लाये  हो मेरे लिए "   - राजा ने मोची से पूछा। 

लोमड़ी ने मछली को पकड़ा , मछली  ने लोमड़ी को पकड़ा और मोची ने इन दोनों को  पकड़ा " - मोची ने कहा,जोकि एक जर्मन कारीगर था और उसे अच्छी हंगेरियन बोलनी नहीं आती थी। 

राजा ज़ोर से हँसा , एक तो इस अजीबो-गरीब उपहार के लिए , दूसरे इस हास्यप्रद वाक्य पर। राजा ने मोची को इनाम में  एक सौ सोने की मोहरें देनी चाहीं , लेकिन मोची ने अत्यंत नम्रता से राजा से गुज़ारिश करी कि वह उसको एक सौ सोने की मोहरों के जगह एक सौ कोड़ों की सज़ा सुना दें।  

राजा को लगा कि उन्होंने  कुछ ग़लत सुन लिया लेकिन मोची ने अपनी प्रार्थना  दोहराई । 

" अगर तुम्हें कोड़ें खाने  इतने ही पसंद हैं तो मैं तुम्हें एक सौ कोड़ों की सज़ा सुनाता हूँ " - राजा ने मोची से कहा। 

" महाराज ,कोड़े मुझे इतने पसंद  नहीं , वास्तव में आपके दो पहरेदार इसके लिए बेताब हैं।  आपके पास भेजने से पहले उन्होंने मुझसे यह शर्त रखी कि आपसे मिलने वाले इनाम में से मुझे आधा इनाम उनको देना पड़ेगा" - मोची ने मुस्कुराकर राजा से कहा। 

 मोची के जवाब से मात्याश राजा  ख़ुश हो गये और उन्होंने  मोची को बहुत-सा धन दिया जबकि  मोची को दिए गए इनाम में से आधे आधे इनाम के लिए दोनों पहरेदारों को मिले ५० - ५० कोड़ें। 



अनुवादक - इन्दुकान्त आंगिरस 

No comments:

Post a Comment