Thursday, September 3, 2020

Dr.Imre Bangha - Man of Letters ( हंगेरियन- हिन्दी विद्वान )


 

विदेशी हिन्दी विद्वानों की श्रृंखला  में हंगरी के हंगेरियन - हिन्दी विद्वान डॉ इमरे बंगा का नाम किसी परिचय का मोहताज  नहीं। १९९० में केंद्रीय हिन्दी निदेशालय , आगरा से हिन्दी भाषा में डिप्लोमा की उपाधि पाने के बाद आप की रूचि हिन्दी भाषा के प्रति अधिक गहरी हो गयी। हिन्दी के साथ साथ आपको बृज भाषा में भी दिलचस्पी थी और वृन्दावन में लगभग एक वर्ष तक रहकर आपने बृज भाषा का गहन  अध्ययन किया। 

तदुपरांत  १९९८ में आप ने विश्व भारती शान्ति निकेतन विश्वविद्यालय ,कोलकाता  से " आनंदघन के कवित्तों में उपमामूलक अलंकारों की योजना " विषय पर पी एचडी की उपाधि हासिल करी।  आप की मातृभाषा तो हंगेरियन है लेकिन आप हंगेरियन भाषा के अलावा अँगरेज़ी , संस्कृत , बंगाली ,उर्दू ,गुजराती , बृज भाषा , इतालवी ,फ्रेंच और स्पेनिश  भाषा के भी  ज्ञाता हैं।  इन भाषओं के अलावा आप जर्मन ,लेटिन , मराठी , उड़िया , फ़ारसी ,पुर्तगाली ,पंजाबी ,रोमानियन ,रूसी और तेलगु भाषओं में भी दख़ल रखते  हैं।

वैसे तो मेरी डॉ इमरे बंगा से दिल्ली में कई बार मुलाक़ात हुई हैं लेकिन एक दिलचस्प मुलाक़ात मुझे आज भी याद है।  मैं अपनी पत्नी के साथ रेलगाड़ी से दिल्ली से मथुरा जा रहा था। अभी मैं अपनी आरक्षित  सीट पर जा कर बैठा ही था कि कुछ पलों  के बाद ही मैंने  एक विदेशी को देखा जोकि बैठने के लिए स्थान ढूंड रहा था , ढ़ीला- ढ़ाला कुरता पयजामा , पैरों में चमड़े के सैंडल और काँधे पर लटका एक कपडे का बैग। मैंने दूसरी नज़र  में ही उन्हें पहचान लिया और उन्हें हंगेरियन भाषा में सम्बोधित कर अपने पास बुलाया। इस आकस्मिक मुलाक़ात से हम दोनों ही ख़ुश थे। उस दिन उन्हें जुकाम हो रहा था और उन्होंने मुझसे कहा - "अजीब बात है कि गर्मियों में भी जुकाम हो जाता है "।  कुछ देर इधर - उधर की बात करने के बाद उन्होंने अपने बैग से हंस पत्रिका निकाली और उसमे  प्रकाशित हंगेरियन कथाकार  Nagy Lajos   की    हंगेरियन  कहानी A  három éhenkórász   का हिन्दी अनुवाद " तीन भुक्कड़  "  पढ़ने लगे और मुझसे बोले " देखो कैसा इत्तफ़ाक़ है कि मैं अनुवादक के सामने बैठ कर ही उसका अनुवाद पढ़ रहा हूँ "।   उन्होंने मेरे सुन्दर अनुवाद के लिए मुझे बधाई भी दी। 

डॉ इमरे बंगा  भारत के कई विश्वविद्यालयों में गेस्ट लेक्चरर के रूप में शिरकत फ़रमा चुके हैं , भारत के अलावा इन्होने विश्व के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में भी अपने पेपर प्रस्तुत किये हैं। हिन्दी साहित्य एवं भारत हंगेरियन सांस्कृतिक संबंधों पर आपकी  साहित्यिक उपलब्धियों को विशेष रूप से सराहया गया है।  फ़िलहाल आप  Faculty of Oriental Studies  , University of Oxford  में असोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्य कर रहे है। डॉ इमरे बंगा को अगर Man of Letters कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। आपने हिन्दी , बंगाली ,उर्दू और गुजराती भाषा  के साहित्य का हंगेरियन अनुवाद  का अतुलनीय कार्य किया है। 

इनके  द्वारा  बृज भाषा से हंगेरियन भाषा में अनूदित " आनंदघन " पुस्तक काफ़ी चर्चित रही है , मुझे ख़ुशी है कि हंगेरियन  सांस्कृतिक केंद्र ,दिल्ली में आयोजित इस पुस्तक के विमोचन के कार्यक्रम में , मैं सम्मिलित था। 



अधिक जानकारी के लिए देखें - http://www.orinst.ox.ac.uk/staff/isa/ibangha.html


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