पहचान
हर गाँव की पगडण्डी
किसी न किसी
बड़े शहर में निकलती है
और
हर बड़े शहर की काली सड़कें
कहीं न कहीं
जुड़ती हैं
उन अनजाने जंगलों से , जहाँ से
लौट कर जो भी आता है
अपनी पहचान खो ही आता है।
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