जानवरों की ज़बान जानने वाला गड़रिया
मैं जैसे ही पेलेग में गया मैंने देखा कि वहां चरनी से बहुत से परीकथाएं बंधी हुई थी, उन्हीं में से सबसे सुन्दर कथा मैंने चुनी है। प्राचीन समय कि बात है , सात समुन्दर पार , वहां कांच की पहाड़ियों से ढुलकी हुई भट्टी के किनारों पर एक बबंद भी नहीं थी। यह मट्ठे से भरा हुआ था।।
प्राचीन समय की बात
है एक गड़रिया था। एक बार जंगल में भेड़ों को चराते
हुए उसने दूर से एक आग का गोला देखा
जिसमें एक बहुत बड़ा सांप रो रहा था –
" मेरी मदद करो गरीब इंसान ,भला कर के अच्छे
की उम्मीद करो क्योंकि मेरे पिता साँपों के
राजा है और वह तुम्हें तुम्हारी सच्चाई के लिए इनाम देंगे। "
गड़रिये ने काठ का
एक टुकड़ा काटा और उससे सांप को आग से बाहर निकाला
। सांप रेंग कर आगे बढ़ा। दोनों ने मिल कर एक बड़ा पत्थर उठाया। पत्थर के नीचे एक सूराख था , उस सूराख में घुस कर दोनों ज़मीन के नीचे साँपों के राजा से मिलने चले गए।
साँपों के राजा ने ग़रीब आदमी से पूछा - " मेरे बेटे को मौत के मुंह से निकाल ज़िंदगी देने वाले गरीब इंसान , बोलो , तुम्हें क्या चाहिए ? "
गरीब आदमी ने कहा कि उसे बस यह वरदान चाहिए कि वे जानवरों की भाषा समझ सके। साँपों के राजा ने उसको यह वरदान दे दिया
लेकिन एक शर्त के साथ - " यह बात कभी भूल कर भी किसी को नहीं बताना , अगर बताया तो तुम फ़ौरन मर जाओगे। " गरीब आदमी
वरदान पाने के बाद
वापिस ज़मीन पर आ गया।
जब गड़रिया अपने घर जाने लगा तो रास्ते में उसने एक सूखा हुआ पेड़ देखा। उस पर दो नीलकण्ठी पक्षी बैठे थे। एक दूसरे से कह रहा था - ' अगर इंसानों को पता लग जाये कि इस पेड़ में कितना खज़ाना छुपा हैं तो वो ख़ुशी से पागल हो जायेंगे। "
गड़रिया ने उनकी बात
सुन ली , पेड़ पर निशान लगा कर घर लौट
गया । बाद में वैगन ले कर आया और पेड़ से ढेर सारा पैसा ले कर लौट गया। अब वह बहुत अमीर बन गया था।
मुनीम की बेटी से ब्याह रचाया। उसकी पत्नी हमेशा उससे पूछती कि उसके पास इतना पैसा कहा से आया ?
-" यह मत पूछो ,
सब ईश्वर ने दिया है। "
एक बार घर के एक कमरे में दो बिल्लियां ओवन के पास बैठी थी। बड़ी बिल्ली , छोटी बिल्ली से कह रही थी कि वो उससे छोटी है , इसलिए पेंट्री में आसानी से घुसकर उसके लिए बेकन चुरा कर ला सकती है। यह सुन कर गड़रिया हँसने लगा । उसकी पत्नी से उससे उसकी हँसी का कारण पूछा। गड़रिये ने अपनी पत्नी को बताया कि बड़ी बिल्ली छोटी बिल्ली को क्या कह रही थी। उसकी पत्नी ने उससे पूछा कि वह बिल्लियों की बातचीत को कैसे समझ पा रहा है।
-" अगर तुम्हें बताया तो , नहीं बता सकता , क्योंकि अगर बताया तो मेरी मृत्यु हो जाएगी। "
- " कोई बात नहीं , बता दो। " उसकी पत्नी ने कहा।
- " नहीं , यह संभव नहीं।
" गड़रिये ने अपना मुंह सख्ती से बंद कर लिया।
एक बार दोनों शॉपिंग के लिए निकले। पत्नी एक घोड़ी पर बैठी और पति एक घोड़े पर। पत्नी घोड़ी पर पसर सी गयी थी। तभी घोड़े ने घीड़ को देखा और उससे पूछा कि वो जल्दी जल्दी क्यों नहीं चल रही ? तब घोड़ी ने कहा -
" तेरे लिए आसान है क्योंकि तुम्हारा सवार एक पतला आदमी है जबकि मुझे इस मोटी औरत को ढ़ोना पड़ रहा है।
गड़रिया उनकी बातचीत समझ रहा था , वह एक बार फिर हँसने लगा। उसकी पत्नी ने फिर उससे हँसने का कारण पूछा। गड़रिये ने अपनी पत्नी को बताया कि घोडा , घोड़ी से क्या कह रहा था। औरत ने गड़रिये से फिर पूछा कि उसको जानवरों की भाषा कैसे समझ में आ जाती है।
गड़रिये ने कहा कि
वह यह बात नहीं बता सकता क्योंकि बताते ही उसकी मृत्यु हो जाएगी।
दोनों वापिस घर लौट गए। वहाँ घर पर भेड़िये कुत्तों से मेमने मांग रहे थे। कुत्तों ने इसके लिए मना कर दिया लेकिन फिर भी चार मेमने
देने का वादा कर दिया। बुजुर्ग कुत्ते बोदरी ने कहा -
" वे अपमानजनक हैं , तुमने हमारे मालिक की भेड़े देने का साहस कैसे किया ? "
अमीर सब कुछ समझ गया था। उसने कुत्तों को वहाँ से भगाया और सिर्फ बोदरी को एक बड़ी ब्रेड दी।
उसकी पत्नी ने फिर उससे पूछा कि उसने जानवरों की भाषा कहा से सीखी। गड़रिये ने कहा कि अगर वह बताएगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। इस पर पत्नी ने कहा कि कोई बात नहीं , अगर मर भी जाओगे तो क्या हो जायेगा , बस मुझे बताओ तुमने ये कैसे सीखा ?
यह सुन कर गड़रिये
ने एक ताबूत बनवाया और उस में लेट गया।
बस इतना कहा कि आखरी बार बोदरी को एक ब्रेड देनी चाहिए। लेकिन बोदरी को ब्रेड नहीं चाहिए थी क्योंकि वह बहुत उदास था , वह अमीर मालिक के लिए दुखी था। लेकिन तभी एक दिलेर मुर्गा भीतर आया और बड़े मज़े से ब्रेड खाने लगा।
बोदरी ने उससे कहा - " ओ दुष्ट ! तुम इतने आराम से ब्रेड कैसे खा सकते हो जबकि हमारा मालिक अभी मरने वाला है ?
- " तुम मूर्ख हो ! अपने मालिक जितने पागल , एक औरत को नहीं संभाल सकते। मुझे देखो , मेरी बीस बीवियां है और सब मेरा हुक्म मानती हैं। "
यह सुनते ही गड़रिया उछल पड़ा , उसने अपनी पत्नी की खूब धुनाई की जिससे वह दोबरा यह न पूछे कि उसने जानवरो कि भाषा कहाँ से सीखी ?
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