क़लम
पकड़ो जी , क़लम पकड़ों !
बन्दूक नहीं , क़लम पकड़ों !
और देश का दरिद्दर मिटा दो !
लड़ो एक बूँद पानी के लिए
लड़ो जीवन की रवानी के लिए
लड़ना है जी लड़ना है
बिन बन्दूक लड़ना है।
जिसे धर्म बोला जा रहा वो अधर्म है
जिसे न्याय बोला जा रहा वो अन्याय है
जिसे तुमसे छीन रहे वो तुम्हारा हक़ है
लड़ो , अपने हक़ के लिए लड़ो।
पकड़ो क़लम अपने देश के लिए
पकड़ो क़लम अपने भविष्य के लिए
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बिटिया का वरदान
मैं उस नाव से क्या पूँछू
शायद दरिया पार करा दे
जीवन आज भी है उसके हाथ
कब मिलेगा क़िस्मत का साथ
जन्म लिया जब बिटिया ने
चेहरा सबका मुरझाया था
सबने मारे ताने माँ पर , वंश चलाने
बेटा जो ना आया था
दर्द सहना हमने बचपन से सीखा है
सलूक हमसे किया जानवर जैसा है
घर के बाहर हर आँख शिकारी है
हमारे बोझ से घर भी होता भारी है
हे देव ! तेरे इस संसार में
मुझे न मिली ख़ुशी कभी भी
बस पीड़ा ही मिली हर घडी
मेरा जीना और मरना भी
चन्द लोगो के हाथों में
जिन लोगों के लिए मैंने
सब कुछ कर दिया बलिदान
उन्हीं लोगों ने मुझे लूट कर
ख़ूब करा हैरान
मैं बढ़ी थी सच की राह
सोचा था सबका भला करुँगी
क्या सोचा था और क्या हुआ
लोगों ने मेरी सीरत से ज़्यादा
मेरे तन का नापतोल किया
मेरी हर आवाज़ को दबाया जाता है
पसंदीदा कपड़ें पहनूँ तो बेशर्म बताया जाता है
लड़ती हूँ जब भी अपने हक़ के बारे में
मेरी हर कोशिश को दबाया जाता है
हे देव ! तेरी माया अपरम्पार है
लेकिन हुई तुझसे ग़लती इस बार है
तेरे भेजे इंसान बन गए जानवर हैं
हे देव ! मैं कहाँ जाऊँ इस धरती पर ?
जिस धरती पर तूने मुझे जन्म दिया
उस धरती पर रात में निकलना पाप है
कि वो ज़िंदगी की आख़िरी रात होगी
बलात्कारी मर्द फिर बच जायेगा
और लोग बोलेंगे , " क्या कपडे पहनी थी वो ?
लड़की की ही ग़लती होगी ,
अब कौन शादी करेग उससे
रात में कहाँ घूम रही थी वो ? "
मुझसे कोई न पूछेगा हाल मेरा
कर दिया किसने बेहाल मुझको
कितनी पीड़ा सहनी मुझको ?
हे देव ! तेरे इस लोक में गर सिर्फ मर्द जी सकते हैं
तो हाथ जोड़ करती हूँ निवेदन इतना
या तो लड़कियों को इस लोक से निकाल दे
या नए जग का निर्माण कर , उन्हें सम्मान दे
या दुनिया के मर्दों को करदे नेस्तनाबूद
गर नहीं तो मुझे अगले जन्म में
लड़का बनने का वरदान दे।
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