बुरका
औरत ने घबराई आवाज़ में दुकानदार से कहा , " भाईजान , मेरे साइज के 2 बुरके दे दीजिए। "
- " अरे , आपाजान आप ! आपने बुरका पहनना कब से शुरू कर दिया ? आप तो पढ़ी - लिखी खुले विचारों वाली पत्रकार है , तो फिर आज ऐसा क्या हो गया कि अचानक बुरका याद आ गया ? " दुकानदार ने हैरानी से पूछा।
- " भाईजान , लगता है आपने आज का अख़बार नहीं पढ़ा , हमारे ही मोहल्ले में एक आदमी ने अपनी बीवी का सिर्फ इसलिए क़त्ल कर दिया कि वो बिना बुरका पहने अपने मायके चली गयी थी। वैसे मेरे शौहर तो पढ़े - लिखे खुले विचारों के है लेकिन कौन जाने कब किसका दिमाग़ सनक जाये ......बस मुझे आप जल्दी से बुरके दे दीजिए " औरत एक साँस में कह गयी।
औरत की आँखों में चमकता ख़ौफ़ देखकर दुकानदार ने जल्दी से 2 बुरके उसको दे दिए। औरत ने वही दुकान पर बुरका ओढ़ा और बुदबुदाते हुए दुकान से निकल गयी , " जान है तो जहान है प्यारे , आख़िर बुरका ओढ़ने में क्या जाता है। "
- इन्दुकांत आंगिरस
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