मई दिवस और अनिद्रा
खाद्य पदार्थों से भरी हुई टोकरी
सुनहरे गुलाबों का गुच्छा
और जीने की अदम्य इच्छा
वो गुज़रे सालों की अधूरी कहानियाँ
टूटे हुए दिलों की या जमे हुए आंसुओं की
कुछ भूखे आतंक की
लेकिन बिखरी हुई आशाओं की नहीं
आनंद से पढ़ती थी ये पंक्ति किशोर अवस्था में -"
"Miles to go before I sleep "
( निद्रा से पहले चलना है मीलों )
मैं अभी भी भाग रही हूँ
और
वो कर रहे हैं काम
और खुली ज़ंजीरों वाली सदी फुफकारती है
हिस्स..हिस्स ...हिस्स
कवयित्री - Suhina Biswas Majumdar
अनुवादक - इन्दुकांत आंगिरस
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