Sunday, April 30, 2023

फ़्लैश बैक - शरबती दादी

शरबती दादी 

( मेरी सगी दादी की छोटी बहिन )


कुनबे में थी सबसे छोटी बुआ की शादी 

और मुझे मिली थी ज़िम्मेदारी 

गली शीशमहल , बाज़ार सीताराम से 

शरबती दादी को ग़ाज़ियाबाद ले जाने की 

उन दिनों शादी - ब्याह होते थे बड़े उत्सव 

जिसमे महीनों पहले घर आ जाते थे 

क़रीबी रिश्तेदार 

बस इसी सिलसिले में पहली बार 

जाना हुआ गली शीशमहल में 

गली में शीशमहल तो कोई न दिखा 

लेकिन शरबती दादी का घर ढूँढ निकाला 

शरबती दादी ने पिलाई मुझे चाय 

और फिर निकल पड़े हम स्टेशन की ओर

उनके कपड़ो की छोटी संदूकची 

और बिस्तरबंद उठा कर चल पड़ा दादी के साथ 

शरबती दादी करती थी बहुत मीठी बातें 

बरसो गुज़र गए लेकिन 

दिल्ली से ग़ाज़ियाबाद का वो सफ़र 

आज भी जेहन में ताज़ा हैं 

संदूकची , बिस्तरबंद और शरबती दादी। 



कवि - इन्दुकांत आंगिरस

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