गली आर्यसमाज
गली आर्य समाज
का एक सिरा बाज़ार सीताराम
तो दूसरा हमदर्द दवाख़ाने में निकलता
जिससे तीन यादे जुडी हैं मेरी
पहली चुन्नीलाल पतंग वाला
दूसरा मेरा दोस्त पवन कुमार
और तीसरा
मेरे छोटे पुत्र अनुज का
३ साल की उम्र में खो जाना
और उसका गली आर्य समाज में मिलना
मेरे दादा जी बरसो आर्य समाज से जुड़े रहे
लेकिन बहुत बाद में पता चला कि
गली आर्य समाज में स्थापित
आर्य समाज का मंदिर दिल्ली का
पहला आर्य समाज का मंदिर है।
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
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