विद्या मंदिर
हाँ , कटरा गोकुल शाह का
विद्या मंदिर ही थी मेरी पाठशाला
जहाँ पढ़े थे मैंने क , ख , ग
और A , B , C
स्लेट और स्लेटी
सरकंडे की क़लम , तख़्ती
और काली स्याही
तख़्ती को पानी से साफ़ करना
फिर उस पर मुल्तानी मिटटी का लेप लगा
उसको हवा में सूखाना
फिर पेंसिल से लकीरें खींच कर
उस पर सरकंडे की क़लम से लिखना
अपने आप में एक दिलचस्प
खेल था मेरे लिए
कुछ महीने वहाँ पढ़ने के बाद
हो गया था मेरी दाखिला
आंध्रा स्कूल में
फिर कभी जाना नहीं हुआ
विद्या मंदिर के भीतर
लेकिन विद्या मंदिर की तीन सीढ़ियां
और लज्जा मैडम
आज भी जेहन में ताज़ा हैं।
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
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