Égig Érő Mesefa - गगनचुम्बी क़िस्सागो पेड़
एक बार उसे राजमा का एक दाना मिला , जिसे उसने आँगन में बो दिया। राजमा का बीज फूट पड़ा और बढ़ने लगा। बढ़ते बढ़ते इसने एक विशाल वृक्ष का रूप ले लिया। लेकिन पेड़ का बढ़ना तब भी नहीं रुका और अंत में आकाश को छूने लगा। इससे अधिक ऊपर बढ़ना इसके लिए संभव नहीं था इसीलिए यह दूसरी दिशाओं में फैलने लगा। इसकी सुन्दर शाखाओं में से छोटी - छोटी टहनियाँ भी निकल रही थी।
वृद्ध व्यक्ति बहुत ख़ुश था क्योंकि अब इस विशाल वृक्ष की ठंडी छाँव आँगन में फैल गयी थी। उस समय तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा जब गगनचुम्बी पेड़ ने कहानियों की झड़ी लगा दी। वृक्ष ने अनेक दिलचस्प कहनियाँ सुनाई , यहाँ तक कि बाद में वृद्ध व्यक्ति ने कहानियाँ
सुननी बंद कर दी।
पेड़ पर इतनी कहानियाँ उग आई कि उनसे आँगन , गावँ, शहर और यह संसार भर गया। लेकिन बच्चों को इससे कोई परेशानी नहीं थी ,वे तो रात - दिन बस कहानियाँ सुनना चाहते थे।
एक बार पेड़ के शिखर पर ठीक बीचो-बीच एक लोबिया का दाना उग आया। यह लोबिया का दाना पक गया था। पका हुआ लोबिया का दाना एक आड़ू की मानिंद इस तरह ज़मीन पर गिरा कि गिरते ही उसमे से एक फुदकता हुआ सुन्दर लड़का निकला । वृद्ध व्यक्ति ने ख़ुशी से उसका नाम लोबिया यांको रख दिया। लेकिन उसकी ख़ुशी लम्हे भर की थी क्योंकि वह लड़का वृद्ध व्यक्ति के साथ नहीं रहना चाहता था। यांको दुनिया की सैर के लिए यह कह कर निकल पड़ा कि वह कही भी नहीं ठहर सकता क्योंकि बच्चें उसकी प्रतीक्षा कर रहें हैं। वह जहाँ भी गया उसकी राह में हज़ारों आश्चर्य आएँ।
गगनचुंबी पेड़ पर शायद तब से ही कहानियाँ उगती हैं , एक से बढ़ कर एक। सभी उन कहानियों से परिचित हैं।
लोबिया यांको अपनी यात्रा के दौरान हर तरफ़ देखता है कि लोग उसे पहचानते हैं कि नहीं। बच्चों ! अगर तुम सब भी उस गगनचुम्बी पेड़ के नीचे जाओगे तो तुम्हें ऐसी कहानियाँ सुनने को मिलेंगी जो अब तक तुमने सुनी नहीं होंगी।
अनुवादक - इन्दुकांत अंगिरस
वाह, बहुत सुंदर ,रोचक कहानी ।
ReplyDeleteआपका अनुवाद प्रशंसनीय है ।