Argirus Királyfi - राजकुमार आर्गिरुश
भोर की डगर पर अदृश्य लोग
बढ़ते ही आ रहें हैं बहरे लोग
आ रहा है विशाल गूँगा जुलूस
तुम्हारे प्रिय समय के द्वारपाल
एक मुद्दत से तुम्हारी तलाश में हैं
तुम निद्रास्थ हो ,राजकुमार आर्गिरुश ?
ख़ुद से आलिंगनबद्ध लोगों को न देखा कभी
बस देखते रहें जाने वालो को
अकेले , नितांत अकेले हो तुम
लेकिन तुम्हारे दरवाज़े को खोल निकलते रहें
तुम्हारे कमरे को रिक्त कर
एक-एक कर लोग निकलते रहें
समय के द्वारपाल तुम्हारी उम्र की सड़क से
गुज़रते हुए गा रहें हैं दर्द भरे गीत
लाएँ हैं तुम्हारे लिए दुःख का संगीत
जिनकी कमर तो हैं पर चेहरे नहीं
जिनके पदचिह्न तो हैं पर पावँ नहीं
आर्गिरुश , भागो , पीछा करो इनका
बढ़ कर उन्हें राह में थामना होगा
अपनी आँखों में उन्हें भरना होगा
क्यूँकि तुम्हारे दुखों का कोई मूल्य नहीं
बिना उनके दुखों की गहराई जाने
बिना इन गहरे निशानों को पहचाने
तुम्हारे अपने जीवन का कोई मूल्य नहीं
बेकार है अब ,राह तुम्हारी अवरुद्ध है
सुरमई शाम में अँधेरी गुफ़ा के द्वार
तैनात समय के द्वारपाल, अब
छिपाए अपना चेहरा , झुकाए अपना सर
ग़मगीन जा रहें हैं , गुफ़ा के भीतर
बजा रहें है मंदिर की घंटियाँ
और कर रहें है गुफ़ा में प्रार्थना
अब कर लो ठुकाई उनकी ।
कवि - Balázs Béla
जन्म - 4 अगस्त ' 1884 - Szeged
निधन - 17 मई ' 1949 - Budapest
अनुवादक -इन्दुकांत आंगिरस
बहुत खूब
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