Wednesday, September 24, 2025

Ghazal - Sample

 ज़मीं  का प्यारा ये हिस्सा, जो अंडमान में है

हमारे   देश   में   शामिल,   हमारी  जान  में है


है   शीशे  जैसा,  जो   पानी  यहां  समन्दर  में

इसे   वो   रंग  मिला   है,  जो  आस्मान  में है


जिसे  हो  देखना  जन्नत,  वो अंडमान  आए 

तुम्हारी  आंख  का  मंज़र  भी  इम्तिहान  में है


यहां न  क़ौम  का  झगडा  न  धर्म  का  झगडा

ये  एकता  की  विरासत  भी  ख़ानदान  में है


संभाल  कर  जिसे  रक्खा  है,  आप  सब  देखें

हर इक क़दम प दिखेगा हर इक निशान में है


यहां  के  लोगों  में  यकजहती  है,   लगावट है

ये  सारी  रस्म,  जज़ायर  के,  आन-बान में है  


इस ग़ज़ल की बह्र है

मुफाइलुन फइलातुन मुफाइलुन फइलुन/फैलुन

1212   1122  1212  112/22,

इसलिए जहां यह या वह है बह्र के अनुसार ये या वो कर दिया। कारण यह और वह की मात्रा 2 है ये और वो की 2 है।

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