Wednesday, September 24, 2025

हाथी दादा

" हाथी दादा " के बाल गीतों में लय , सुर और ताल का ऐसा संगम है कि  मिसरे पानी की मानिंद बहते हैं। शब्दों की ऐसी जादूगरी और रवानी कम देखने को मिलती है। ये बाल गीत सभी वर्ग और उम्र के पाठकों के लिए एक अद्भुत सौग़ात है। इन बाल गीतों में बाल मनोविज्ञान की गहरी गूँज के साथ साथ बच्चों की स्वाभाविक जिज्ञासा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पाठकों को बरबस अपनी ओर खींच लेता है। अगर आपके घर में बच्चें हैं तो यह पुस्तक भी आपके घर में होनी चाहिए।  वरिष्ठ ग़ज़लकार और गीतकार श्री राम अवध विश्वकर्मा के बाल गीत संग्रह " हाथी दादा " ने यक़ीनन हिंदी बाल साहित्य को न सिर्फ समृद्ध किया है अपितु एक  नयी दिशा और दशा प्रदान करी  है।  

- इन्दुकांत आंगिरस 

फ्लैप पर 

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बिल्ली काली भूरी

पेज 27

गर्मी आई

पेज नं 17


क्योंकि बाकी लम्बे गीत हैं

सच्ची एक कहानी  पेज 21 आ जाये तो देख लें

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1.पेज नं 16 लाइन 7

कोने मे की जगह कोने में ( में )

2.पेज नं 24 लाइन 15

झगड़ूं कभी जो मै ( मैं) होगा । मै पर बिन्दी

बाकी ठीक है



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हाथी दादा दूसरे पीडीएफ प्रूफ में सुधार 

1. पेज 35 लाइन 3

बेटा की जगह बेटी लिखें

2.पेज नं 50 

यहां पर नहीं गलेगी दाल ( दाल में ल छूट गया है)

3..पेज नं 69

टाइटल में 'गीत'  की जगह 'चाट पकौड़ी'  डालें

4. पेज नं 37 लाइन नं 8 

बेशक  की जगह (बेशक़) क के नीचे नुक्ता 

5.पेज नं 43 लाइन नं 8

नाहक में क में नुक्ता लगायें (नाहक़ )

6. पेज नं 46 लाइन 7,8

नुक्ता लगायें मजबूरी में 'ज' के नीचे( मज़बूरी)

जरूरी में नुक्ता लगायें (ज़रूरी)

7. पेज नं 49. लाइन 3.हाकिम में नुक्ता क के नीचे ( हाक़िम)

लाइन नं 4 नक्शा में क के नीचे नुक्ता (नक़्शा)

8. पेज नं 50 लाइन 7,9

हाकिम - (हाक़िम)

9. पेज नं 61 लाइन 5

 जरा की जगह ( ज़रा) ज के नीचे नुक्ता 

10. पेज नं 72 लाइन 8

कदर की जगह (क़दर) क के नीचे नुक्ता 

11. पेज नं 73. लाइन 3

फौरन की जगह (फ़ौरन) फ के नीचे नुक्ता



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 हाथी दादा में 

निम्न संशोधन करने का कष्ट करें


1.अनपढ़ मुखिया पेज नं 45 का गीत  हटा दें। उसकी जगह  अनपढ़ मैना का यह गीत डाल दें।

विषय सूची में भी बदलाव करें।

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अनपढ़ मैना


तोता ने मैना को भेजी , लन्दन से इक चिट्ठी 

उसमें उसने लिख भेजी सब, बातें खट्टी मिट्ठी

कैसे कैसे उड़ते उड़ते, जा पहुॅंचा मैं लन्दन

कैसे पक्षीगण ने मेरा , किया यहां अभिनंदन 

सुन्दर सुन्दर बाग़ - बग़ीचे , में उड़ता रहता हूॅं

जो मिलता है उन सबसे मैं , राम राम कहता हूँ 

तरह तरह के कई फलों को , खाता कुतर कुतर कर 

ठंडा ठंडा पानी पीता , नदियों का जी भरकर

बड़े मज़े  में रहता हूॅं मैं ,  मेरी फ़िक्र न करना

मुझे याद कर तुम मत रोना, और न आहें भरना

और अन्त में लिखा पत्र में , बूढ़ों को पालागन 

बच्चों को आशीष और फिर,मित्रों को अभिवादन 

चिट्ठी लेकर मैना के घर, एक कबूतर आया 

चिट्ठी आई है तोता की, मैना को बतलाया 

चिट्ठी लेकर मैना बोली , बहुत  शुक्रिया भाई

बहुत दिनों के बाद आज यह, उनकी   चिट्ठी आई 

चिट्ठी को पढ़वाने मैना , दर-दर भटक रही थी 

आज निरक्षरता  रह रह कर,  उसको खटक रही थी 

सोच रही थी  कितनी भी हो, जीवन में मजबूरी 

पढ़ना लिखना इस युग में है , सबको बहुत जरूरी

 करी प्रतिज्ञा मैना ने वह , कैसे भी जी लेगी

लेकिन अपने बच्चों को वह , उत्तम शिक्षा 

4. हाथी दादा गीत में निम्न बदलाव करें

इतने में झूला टूटा और गिरे सभी मुॅंह के बल की जगह

तभी अचानक झूला टूटा गिरे सभी मुॅंह के बल

5. पेज नं 21सच्ची एक कहानी में लाइन नं7 में

छरू की जगह : लिखें।

6. पेज नं 49 हेडिंग 'घना जंगल' की जगह 'चिपको आन्दोलन' या 'पर्यवरण संरक्षण' लिखें। विषय सूची में भी बदलें।

पेज नं 50 में तीसरी लाइन से लेकर  अखीर तक हटा दिया है। बाल गीत के हिसाब से बहुत लम्बा हो रहा था इसलिए ऐसा कर दिया है और निम्न फार्मेट में कर दिया है। पूरा डिलीट करके ऐसा कर दें।

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पर्यवरण संरक्षण


घना जंगल था अति रमणीय ,उत्तराखण्ड प्रान्त में एक 

वृक्ष थे वहाँ बहुत फलदार, घोंसलें उस पर बने अनेक

एक दिन आया हाकिम एक ,साथ में लाया  ठेकेदार 

दिखाकर नक्शा बोला शीघ्र ,करो मैदान एक तैयार

यहाँ होगा ओलम्पिक गेम , बनेगा यहां खेल का गाँव

सभी लोगों का यही विचार,यही है सबसे सुन्दर ठाँव

दूसरे दिन लेकर मज़दूर , यहाँ पर आया ठेकेदार कहा इन वृक्षों पर भरपूर, कुल्हाड़ी से सब करो प्रहार

तभी आ पहुँचे कुछ ग्रामीण, कहा सुन ले ऐ ठेकेदार 

नहीं कटने देंगे हम वृक्ष, न होने देंगे अत्याचार

अगर कट जायेंगे ये वृक्ष, करेंगे पंछी कहाँ निवास 

दुपहरी काटेंगे किस भाँति, कहाँ हम लेंगे ताजी साँस

किया चिपको आन्दोलन तेज, इकट्ठे हुये गाँव के गाँव 

भीड़ से डर कर ठेकेदार,सोचता चलूँ कौन सा दाँव

किया हाकिम को उसने फोन, बताया उसने सारा हाल 

समस्या है भीषण विकराल, यहाँ पर नहीं गलेगी दाल

वहाँ का छोड़ो सारा काम, दिया हाकिम ने यह आदेश 

लौट आओ तुम सब तत्काल, कौन पालेगा वहाँ कलेश

वहाँ से भागा ठेकेदार, हुई गायब पल भर में भीड़ 

पंछियों में भी आई जान, बचे सब वृक्ष बच गये नीड़

ख़ुशी  से चहके पंछीवृन्द, वृक्ष भी झूमे सब फलदार 

किया दोनो ने ही इक साथ, व्यक्त ग्रामीणों का आभार

7. पेज नं 55 लाइन नं 8,

'रंगे हाथ पकड़ा उसको फिर बना दिया चालान'

की जगह ऐसा कर दें।

रंगे हाथ बन्दर को पकड़ा किया बहुत अपमान 

8.पेज नं 65 चिड़िया रानी में पहली लाइन ऐसा कर दें

चिड़िया रानी आओ मेरी बॉलकनी  में आओ

9. पेज नं 67. घड़ी  लाइन नं 5.ऐसा कर दें

घड़ी देखते घड़ी -घड़ी

10.पेज नं 68.दूसरी लाइन 

श् चरैवेति की जगह 'चरैवेति'कर दें 

आधा श हटाकर इनवर्टेड कामा लगायें

10.जीवन परिचय में यह जोड़ें

 नाम राम अवध विश्वकर्मा 

पिता श्री रामदास विश्वकर्मा 

माता श्रीमती पन्ना देवी

पत्नी श्रीमती स्नेहलता 

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कुछ नये गीत लिखें हैं उनको जोड़ें-

                1. 

प्यारे बच्चों भले घूमने मेले में तुम जाना

लेकिन कभी नहीं ठेले पर चाट पकौड़ी खाना

खुली चाट पर बहुत  मक्खियाॉं बैठी तुम पाओगे

उनके द्वारा छोड़ी गई गंदगी को खाओगे 

खाकर तुम बीमार पड़ोगे होंगे उल्टी दस्त

लीवर तिल्ली आदि रोग से हो जाओगे त्रस्त 

इसीलिए मैं कहता हूं तुम मेले बेशक जाना

लेकिन जहाॅं गंदगी हो उस जगह नहीं तुम खाना

                    2. 

परिक्षा 


साल गॅंवाया खेल कूद में , पढ़ें न हम रत्तीभर

हाथ पाॅंव अब फूल रहे हैं, देख परिक्षा सर पर

खोल किताबें पढ़ने की तो, हमें नहीं थी आदत

पड़ी मुसीबत  गले हमारे,  आन पड़ी है आफ़त

मन्दिर मन्दिर सुबह शाम हम,काट रहे हैं चक्कर

प्रभु से हर दिन करते विनती, अपना शीश झुका कर

कृपा अगर प्रभु की  हो जाये,  पास परीक्षा कर लूॅं

देशी घी के लड्डू से, सबका मुॅंह मीठा कर दूॅं

इक दिन प्रभु सपने में आये, बोले मुझसे हॅंसकर 

अगर परीक्षा से पहले तुम, पढ़ते थोड़ा डटकर

बेटे कठिन परीक्षा भी तब,तुमको नहीं डराती

सच मानो फिर तुम्हें फेल  की, चिन्ता नहीं सताती

झूठ नहीं बोलूॅंगा तुमसे , मैं तुमको बतलाऊॅं

मेरे बस की बात नहीं जो,  तुम को पास कराऊॅं

मूल मंत्र है खेलो लेकिन ,पढ़ना रोज़  लगन से

होती नहीं ज्ञान की चोरी, ज्ञान बड़ा सब धन से


                   3

मनचला बंदर 


महानगर में कल आ धमका, एक मनचला बंदर 

हट्ठा कट्ठा मोटा तगड़ा , था वह मस्त कलंदर 

इस छज्जे से उस छज्जे पर, वह छलाॅंग भरता था

सब डरते थे उससे लेकिन, वह न कभी डरता था

इक दिन पता नहीं क्या उसको, सूझा बीच सड़क पर 

सब लोगों को लगा रिझाने, गुलटइयाॅं खा खा कर

तन्मयता से देख रहे थे , बन्दर को  नर नारी

लगी भीड़ इस कदर सड़क पर, जाम लग गया  भारी

फिर रोबीले पुलिस दरोगा, भालू दौड़े आये

हाथी घोड़ा ऊंट तेंदुआ,चार सिपाही लाये

बन्दर के सब खेल तमाशे, फौरन बन्द कराये

भीड़ भगाये आनन फानन, जाम सभी खुलवाये

और अन्त में भालू जी ने , निज कर्तव्य निभाया 

बन्दर को पकड़ा फिर उसको,जंगल में छुड़वाया 

                        4.

बकरी


हमने  पाली है इक बकरी

दिखने में वो है चितकबरी

बकरी पूरी शाकाहारी 

घास फूस खाती बेचारी

कद-काठी में थी वो छोटी

उसको प्रिय थी बासी रोटी

दूध वो  देती ढाई लीटर 

चुन्नू पीता है गिलास भर

सीधी बहुत हमारी बकरी

सबकी राज दुलारी बकरी

               5

        'कोदंड' ( भगवान राम के धनुष का नाम)

​हे 'कोदंड' तुम्हारी महिमा कितना करें बखान 


त्रेता युग से कलयुग तक सब करते हैं सम्मान 

सूर्यवंश की तुम शोभा हो सूर्यवंश के रक्षक

समर भूमि में साथी प्रभु के राक्षस कुल के भक्षक

राम चरित मानस भी करता जगह जगह गुणगान 


हे 'कोदंड' तुम्हारी महिमा कितना करें बखान 


हे कोदंड राम के हाथों सदा रहे तुम शोभित

धर्म की रक्षा करने को ही किये गये तुम निर्मित 

तुम पर वरदहस्त है प्रभु का तुम्हें अक्षय वरदान


​हे 'कोदंड' तुम्हारी महिमा कितना करें बखान


रामचन्द्र ने प्रत्यंचा जब तानी क्रोधित होकर

हाथ जोड़कर खड़ा हुआ तब सिंधु तुम्हीं से डरकर

तुमसे थर थर काँपा  करते बड़े बड़े बलवान 


​हे 'कोदंड' तुम्हारी महिमा कितना करें बखान 


भले बाॅंस के बने हुये तुम फिर भी हो बलशाली 

तुमसे छोड़े गये बाण सब कभी न जाते खाली

तुम में शक्ति अपार है फिर भी नहीं तुम्हें अभिमान 


​हे 'कोदंड' तुम्हारी महिमा कितना करें बखान


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मोबाइल की लत


मोबाइल का अधिक देखना प्यारे बच्चों ठीक नहीं 

पढ़ने का नाटक करते हो मन लगता है और कहीं


उतना ही अच्छा जितना  मोबाइल से  हम  दूर रहें

प्यारे बच्चों मोबाइल को टा टा टा टा बाय  कहें

 जो  बच्चे घर में  मोबाइल देखा करते हैं हरदम 

मोटा चश्मा उनको लगता उन्हें दिखाई देता कम

 मोबाइल भी  बुरा  नशा है चस्का जिसको लग जाये

मोबाइल की लत से वह मुश्किल से छुटकारा पाये

नहीं कभी मन लगता उसका होमवर्क को करने में

हो जाता कमजोर बहुत वह बच्चा पढ़ने लिखने में 


सब बच्चे तब क्लास रूम में उसकी हँसी उड़ाते हैं

सब बच्चों से कम जब उस बच्चे के नंबर आते हैं

क्लासरूम में पास न कोई कभी उसे बैठाता है

दूर-दूर सब रहते उससे कोई नहीं खिलाता है

पालक शिक्षक की मीटिंग में जब पापा जी आते हैं

तब ज़ीरो  नम्बर की कॉपी टीचर उन्हें दिखाते हैं

ज़ीरो  नंबर देख शर्म से सर उनका झुक जाता है

सोचो ज़ीरो  नंबर उनको कितना दुख पहुँचाता  है

मेरा कहना मानो बच्चों मोबाइल की लत छोड़ो

अभी वक़्त  है सम्हलो पढ़ने लिखने से नाता जोड़ो


मटका 

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प्यास लगे जब जी अकुलाये

तब तब मटका प्यास बुझाये 

मटके का घट, घड़ा भी नाम

लेकिन सबका एक ही काम

 दादा - दादी , नाना - नानी 

पीते इसका ठंडा पानी

भारत का निर्मित फ्रिज  देशी

यह ग़रीब  का परम हितैशी 

बिन बिजली के काम ये करता

तभी किसी को नहीं अखरता 

फ्रिज से  कई गुना है सस्ता

महंगे फ्रिज पर मटका हॅंसता 

इसे परखते ठोंक बजाकर 

तब घर लाते दाम चुकाकर

फ्रिज का पानी देता रोग

मटके का जल रखे निरोग

मटके का जल सदा पियें हम

स्वस्थ रहें सौ वर्ष जियें हम


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