पुस्तकें और पुस्तकालय हर राष्ट्र की सांस्कृतिक व साहित्यिक धरोहर होते हैं। हम पुस्तकों के ज़रिये ही विवेक प्राप्त करते हैं और अपने पूर्वजों का साहित्य और इतिहास भी। टेक्नोलॉजी के इस दौर में अनेक डिजिटल मीडिया पटल मौजूद है और पुस्तकों के प्रति लोगो की उदासीनता चिंता का विषय है लेकिन फिर भी जब तक इस दुनिया में कवि , लेखक , इतिहासकार रहेंगे , पुस्तकें प्रकाशित होती रहेंगी और पुस्तकालय खुलते रहेंगे। अपनी संस्कृति को बचाने के लिए भारतीय सरकार को भी जीर्ण पुस्तकालयों का उद्धार करना चाहिए और नए पुस्तकालय खोलने चाहिए।
गोदरवॉ गाँव ,बेगूसराय का ' विपल्वी पुस्तकालय ' अपने आप में एक विशिष्ट पुस्तकालय है जिसके संस्थापक प्रसिद्ध साहित्यकार एवं पूर्व विधायक श्री राजेंद्र राजन है। शहीदे - आजम भगत सिंह की स्मृति में बनवाया गया यह पुस्तकालय अनेक साहित्यिक कार्यक्रमों का गवाह रहा है। यहाँ पर अब तक दो बार प्रगतिशील लेखक संघ के वार्षिक अधिवेशन संपन्न हो चुके हैं जिसमे देश - विदेश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करी है। शहीदे - आजम भगत सिंह के जन्म दिन 23 मार्च को हर वर्ष यहां पर साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके परिसर में भगत सिंह के अलावा दूसरे क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियां भी लगी हैं। राजेंद्र राजन सबों को साथ लेकर आगे बढ़ने वाले साहित्यकार हैं और इस की प्रेरणा स्रोत मैथिलीशरण गुप्त की निम्न पंक्तिया हैं जो आप अक्सर गुनगुनाते हैं -
यही पशु प्रवर्ति है कि आप - आप ही चरे
वही मनुष्य है कि जो , मनुष्य के लिए मरे
बेगूसराय जो एक ज़माने में लेनिनग्रेड कहा जाता था , निश्चित रूप से कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित रहा है। इस मिटटी ने भारत को अनेक महत्त्वपूर्ण साहित्यकार दिए हैं जिनमें रामधारी सिंह दिनकर और डॉ रामशरण शर्मा के नाम विशिष्ट हैं। मेरा तो कभी बेगूसराय जाना नहीं हुआ लेकिन लगभग ४-५ वर्ष पहले बेगूसराय से एक शख़्स बैंगलोर आया , एक साहित्यिक कार्यक्रम में मुलाक़ात हुई और हम मित्र बन गए। राजेंद्र कुमार मिश्रा उर्फ़ ' राही राज ' ने मेरे साथ मिल कर साहित्यिक संस्था ' कारवाँ ' की स्थापना करी जो बाद में ' राही के कारवाँ ' और फिर 3 सितम्बर 2021 को ' कलश कारवाँ फाउंडेशन ' एक ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर हो गयी। राही राज इस संस्था के अध्यक्ष हैं और संस्था को जोर - शोर से साहित्यिक जगत में आगे बढ़ा रहे हैं। आशा है राही राज किसी दिन ' विपल्वी पुस्तकालय ' में संस्था का कार्यक्रम आयोजित करवाएंगे और हमें भी बेगूसराय देखने का अवसर मिलेगा।
समय के साथ ' विपल्वी पुस्तकालय ' की महत्ता बढ़ती जा रही है और इसके लिए इसके संस्थापक राजेंद्र राजन बधाई के पात्र है। इस पुस्तकालय के निर्माण में उनके श्रम को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आजकल पुस्तकालय को डिजिटल बनाने के प्रयास चल रहे हैं। हाल ही में राजेंद्र राजन के जन्मदिन की 75वीं वर्षगाँठ मनाई गयी । ' समय सुरभि अनंत ' पत्रिका का नवीनतम संग्रहणीय अंक राजेंद्र राजन पर केंद्रित है। सम्पादक नरेंद्र कुमार सिंह को इस विशेषांक के लिए बधाई।
अगर आप लेखक , कवि , साहित्यकार हैं तो कम से कम एक बार इस अद्भुत ' विपल्वी पुस्तकालय ' ज़रूर जाएं ।
प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस
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