अदब के इस दौर में ग़ज़ल सबसे अधिक लोकप्रिय विधा है। अरबी , फ़ारसी और उर्दू से गुज़रती हुई ग़ज़ल आज हिन्दोस्तान की दीगर ज़बानों में भी कही जा रही है और एक से बढ़कर एक शाइर ग़ज़ल के फ़न में महारत हासिल करते जा रहे हैं। ऐसे ही एक मोतबर शाइर जनाब प्रमोद शर्मा ' असर ' हैं जिनके प्रथम ग़ज़ल संग्रह - ' रंग सपनों के ' का परिचय देते हुए मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है। जनाब प्रमोद शर्मा ' असर ' मशहूर उस्ताद शाइर जनाब 'सर्वेश ' चंदौसवी के शागिर्द हैं। पुस्तक की प्रस्तावना ' नये रंग सपनों के इंद्रधनुष में ' में जनाब 'सर्वेश ' चंदौसवी द्वारा दी गयी महत्त्वपूर्ण जानकारी देखें -
" इस ग़ज़ल संग्रह में 51 ग़ज़लों के 357 अशआर मुतदारिक , मुतक़ारिब , हज़ज , रमल और ख़फ़ीफ़ बहरों के 7 औज़ान में शामिल किये गए हैं। प्रमोद शर्मा ' असर ' की शाइरी की उम्र बहुत कम है मगर इनके तजुर्बातों - एहसासात , की उम्र दराज़ हैं जिसे उन्होंने अपनी शाइरी की उम्र में जोड़ कर अच्छी ग़ज़लें तामीर करने में कामयाबी हासिल की हैं। "
प्रमोद शर्मा ' असर ' ने अपनी यह पुस्तक अपने माता - पिता को समर्पित करी है और पुस्तक के फ्लैप पर उस्ताद शाइर जनाब मंगल नसीम के शब्द पुष्प अंकित हैं। उर्दू और हिन्दी लिपियों में प्रकाशित इस ग़ज़ल संग्रह से उद्धृत चंद अशआर देखें -
सच को सच हमने कहा सौ धमकियों के बावजूद
अब मिले जो भी हमे इसकी सज़ा मंज़ूर है
( पृष्ठ -15 )
वो ही मेरा ख़याल रखता है
सारी दुनिया के भूल जाने पर
( पृष्ठ - 16 )
ढूँडना मुश्किल नहीं होगा मुझे सुन लीजिए
ये मेरे अशआर ख़ुद मेरा पता दे जाएँगे
( पृष्ठ - 25 )
' असर ' सबसे बड़ा है वो मुसव्विर
फ़ज़ा में रंग क्या क्या घोलता हैं
( पृष्ठ - 57 )
छुपा कर अपनी करतूतें हुनर की बात करते हैं
शजर को काटने वाले समर की बात करते हैं
( पृष्ठ - 71 )
जो तेरे लम्स से मुझमें समाई
वो ख़ुशबू जिस्म से जाती नहीं है
( पृष्ठ - 79 )
अपनों से जुदा हो के ' असर ' कैसे रहूँ मैं
बाँटे जो किसी घर को वो दीवार नहीं हूँ
( पृष्ठ - 81 )
औक़ात क्या है जान तू
ख़ुद को ख़ुदा मत मान तू
( पृष्ठ - 93 )
कोई भी हादिसा हो शह्र में अब
किसी चेहरे पे हैरानी नहीं है
( पृष्ठ - 111 )
सिर्फ़ उपरोक्त अशआर ही नहीं बल्कि इस किताब में आपको ऐसे बहुत से अशआर मिलेंगे जो आपके दिल की गहराइयों में ख़ुद बी ख़ुद उतरते चले जाएँगे। मुझे यक़ीन है कि प्रमोद शर्मा ' असर ' के सपनों के कुछ रंग आपके रंगों जैसे होंगे , इसलिए आप भी इस किताब का लुत्फ़ उठाएँ......
पुस्तक का नाम - रंग सपनों के ( ग़ज़ल संग्रह )
लेखक - प्रमोद शर्मा ' असर '
प्रकाशक - अमृत प्रकाशन , दिल्ली
प्रकाशन वर्ष - प्रथम संस्करण , 2016
कॉपीराइट - प्रमोद शर्मा ' असर '
मूल्य - ( 300/ INR ( तीन सौ रुपए केवल )
Binding - Hardbound
Size - डिमाई 5 " x 8 "
ISBN - 978-81-8280-197-4
आवरण - शशिकांत सिंह
प्रस्तुति - इन्दुकांत आंगिरस
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