Sunday, May 1, 2022

लघुकथा - ठक..ठक..ठक ..

 

 ठक..ठक..ठक ..


रात देर तक कुछ काग़ज़ काले करके बमुश्किल चंद घंटे ही सो पाया था कि सिरहाने वाली दीवार पर ठक..ठक..ठक .. के प्रहार से आँख खुल गयी। सुबह के 9 बज रहे थे और साथ वाले मकान पर कार्यरत मज़दूरों ने अपना काम शुरू कर दिया था। नींद तो अब दुबारा आनी  मुश्किल ही थी सो बॉलकनी से अख़बार उठा पढ़ने लगा। 1 मई 2022 , यानी अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस जो कुछ राष्ट्रों में Labor Day  अथवा May Day  के नाम से भी मनाया जाता है।  

ठक..ठक..ठक .. अरे आज तो मज़दूर दिवस है , फिर यहाँ मज़दूर काम कैसे कर रहे हैं।  मैं तिलमिला उठा और तत्काल पड़ोस वाले मकान पर जा पहुँचा। 5-6 मज़दूर अपने अपने काम में जुटे थे।  मैंने  ठेकेदार को तलब किया और उससे काम रुकवाने  के लिए कहा तो सभी मज़दूर अपना अपना काम छोड़कर हमारे  क़रीब आ गए। मैं ठेकेदार से ग़ुस्से में कह रहा था -

आज मज़दूर दिवस है तो ये मज़दूर काम कैसे कर रहे हैं यहाँ पर ?

ठेकेदार ने मेरे तेवर देखते हुए तत्काल अपने मालिक को फ़ोन लगाया और चंद मिनटों में ही काम रुकवा दिया। मज़दूरों को एक दिन की छुट्टी दे दी गई। 

 मैं अपनी सफलता पर मुस्कुरा उठा लेकिन ठेकेदार और उन मज़दूरों के इस वार्तालाप को अनसुना न कर सका। 


१ - का हुआ भैया , ठेकेदार ने काम रुकवा दिया और हमारी आज की छुट्टी भी कर दी ?

२ - अरे , सुनत नाही ,आज मज़दूर दिवस है , आज  का दिन मज़दूरों से काम कराना ग़ैर -क़ानूनी है। 

३ - ये मज़दूर दिवस का होत है भैया ?

ठेकेदार  - अरे मज़दूर दिवस नाही जानत , इका यूँ समझिये कि आज मज़दूरों का जन्मदिन है और जन्मदिन मनाने ख़ातिर मालिक ने आज तुम सब को  छुट्टी दे दी है   , जाओ मौज - मस्ती करों और कल सुबह ठीक 9 बजे फिर काम पे लग जाना । 

४ - मज़दूरों का भी जन्मदिन होत है ? हम तो इएह पहली बार सुनिबे। 

१ - मालिक आज की मज़ूरी तो मिलेगी ना ?

ठेकेदार - पगला गए हो , अरे काम नहीं तो मज़ूरी काहे की ? चला ,फूटो यहाँ से .....

सभी मज़दूरों की गर्दनें लटक गयीं और उनके बोझिल क़दम चाय की ढ़परी की ओर बढ़ गए ...

मैं असमंजस की स्थिति में था।   ठक..ठक..ठक .. की आवाज़ बंद  हो चुकी थी लेकिन मेरे दिमाग़ में अभी भी हथौड़े बज रहे थें  । 


लेखक - इन्दुकांत आंगिरस 


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