एक करोड़
आलिशान बंगले के ड्राइंग रूम में मौत का सा सन्नाटा पसरा हुआ था। शिवनारायण और उनकी पत्नी गहरी सोच में डूबे थे। उनका पुत्र मनोज
बार बार अपना पसीना पौंछ रहा था। उसकी शादी को अभी दो महीने ही हुए थे। शुरू शुरू में सब ठीक था लेकिन पिछले कुछ दिनों से उसकी पत्नी रोमा ने घर में तूफ़ान उठा रखा था। रोमा अपना ब्यूटी पार्लर चैन खोलना चाहती थी और उसके लिए उसने अपने पति से १ करोड़ रूपये की डिमांड कर दी थी।रोमा ने अपने पति और सास ससुर को अल्टीमेटम दे दिया था कि अगर उसे २४ घंटे में १ करोड़ रूपये नहीं मिले तो वह अपने ससुर पर बलात्कार और दहेज़ का केस लगाने में बिलकुल नहीं हिचकेगी। इसीलिए घर में मातम छाया था। मनोज मायूसी से अपने कमरे में घुसने लगा तो उसे रोमा की आवाज़ सुनाई दी। रोमा अपनी किसी सहेली से बाते कर रही थी।
- " तू देखती जा अब मैं कैसे इनको बन्दर नाच नचाती हूँ , इनको नाको चने न चबवा दिए तो मेरा नाम रोमा नहीं। अगर मुझे अगले २४ घंटे में मेरी रकम नहीं मिली तो फिर देखना " रोमा ने बिफ़रते हुए अपनी सहेली से कहा।
- " आख़िर तू करेगी क्या ? " सहेली ने जिज्ञासा से पूछा।
- " दहेज़ , नारी उत्पीड़न और बलात्कार का ऐसा केस डालूँगी कि इनके चूले हिल जाएँगी "। रोमा ग़ुस्से से बोली थी।
- " अपने ही पति पर बलात्कार का केस ? पगला गयी है क्या ? कोर्ट नहीं मानेगा ....." सहेली ने झिझकते हुए कहा।
- " अरे , बलात्कार का केस पति पर नहीं अपने ससुर पे डालूँगी। पूरे समाज में इनका मुँह काला करुँगी। "
- " लेकिन तेरे ससुर ने ऐसा कुछ किया क्या ? "सहेली ने पूछा
- " अरे वो बुड्ढा क्या करेगा , उसके बस का भी कुछ नहीं है लेकिन क़ानून वही मानेगा जो मैं कहूँगी " रोमा ने दृढ़ता से कहा था।
उधर ड्राइंग रूम में शिवनारायण ख़ामोशी से अपनी नई नवेली संस्कारी बहू के नाम १ करोड़ का चेक काट रहे थे।