Apply yellow chandan tilak on forehead or throat area
Apne paas teen cloves hamesha rakhiye jisme phool bhi ho
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देश के शहीदों के नाम,कुछ पंक्तियाँ मैंने लिखी हैं
आप इसे अपने शब्दों में आगे बढ़ा सकते है। 👍👍
बता देश मेरे कहाँ तुम नहीं हो,
जिधर देखती हूँ उधर तुम वहीँ हो।
बता देश मेरे कहाँ तुम नहीं हो,
जिधर देखती हूँ उधर तुम वहीँ हो।
1.शिराओं में रहते हो तुम रक्त बनकर
भुजाओं में रहते हो तुम शक्ति बनकर
अकेले नहीं तुम अकेले नहीं तुम,,,,,,सभी तो वहीँ है। बता देश मेरे...........
2.. तुम्ही बाग में फूल बनकर महकते
तुम्ही खेत में अन्न बनकर चमकते
जहाँ पेड़ फल से जहाँ पेड़ फल से,,,,,,,लदे तुम वहीँ हो।बता देश मेरे........
बता देश मेरे कहाँ तुम नहीं हो
जिधर देखती हूँ उधर तुम वहीँ हो।
जय हिंद जय भारत।
To
Director
RCSC ( Russian Centre of Science and Culture )
24 , Ferozshah Road
New Delhi
Sub : Revival request from Parichay Sahitya Parishad.
Revival of Literary programs with RCSC , New Delhi .
Dear Sir ,
This is to inform you that " Parichay Sahitya Parishad " had been organising literary and cultural evening in collaboration with RCSC since 1987 . Exept for a short break during USSR split and Corona period these meetings had been a regular event , which used to get published in the newsletter of RCSC .
Unfortunately , for almost a year the regular literary evenings had stopped again . We request you to restart these literary evenings which are always dedicated to Russian writers and poets . In these meetings the translation of Russian literature is read out by Indian participating poets who recite their own poetry also in the second session of the program .
In this regard , I would like to meet you personally and restart this program asap . Waiting for your favourable reply .
Best regards
Anil Verma Meet
Secretary - Parichay Sahitya Parishad
Mobile - 98185 55511
1- Mridula Sharma - 8780192439
2 - Rohit Arya - 9820469682
3 - Parveen Sharma - 8511107078
4 -Dr Rinku D. Lapsiwala - 9879686777
# 8 , Prathna Raw House , Opp Sneh Sankul Wadi ,
Anand Mahel Road,Adajan ,Surat
( Treated Rajkumar Sharma from 2012 - 2015 ) Patient was treated for Headache , weakness and sleeplessnes )
5 - Dr Anil Gayekwad -9426118607 - Phone:0261-2766040(0)
( Moon Mine Care ) Receptionist name - Mr Rohit
101, Umang Apartment , Tadwadi Rander Road ,Prerna Nagar
Near Bejanwala Complex , Surat
NOTE : Doctor refused to meet @ 11:50 am 10-11-2025
6 - Dr Subhash - 9824151718
SIDS Hospital , Surat
( Childhood friend of Late Mr Rajkumar . He told " Patient cam in walking with diarreo and low BP 60 . In tests no foul particle was found )
7 - Mr Dhawal - 9377194359
( He is the student of late Rajkumar Sharma . He learnt software from Rajkumar Sharma . He treats Rajkumar Sharma as his Guru . According to him Rajumar was left alone )
8 -MANTRA company
HR staff - Khoshboo
0261 - 2323211
9 - Nilum Ukkeini - Advocate Family Surat - Translator - 9033333931
10- Revenue Advocate - Dhavalbai Panseriyee - 9033333979
11 - DON ( Watchman of society )-9328779344
12 Mr Paresh Bhai - ( Chemist & resident of society ) - 9825550777
पुस्तक समीक्षा
'दीवान ए आरज़ू '
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हर शाइर या शाइरा की ख़्वाहिश होती है कि उसका दीवान उसके जीवन काल में ही आ जाये। उसके कई ग़ज़ल संग्रह तो आ सकते हैं लेकिन दीवान प्रकाशित नहीं हो पाता। इसके लिए एकाग्रता, दक्षता एवं दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश निवासी अंजुमन मंसूरी 'आरज़ू' में दृढ़ इच्छा शक्ति और लगनशीलता होने के कारण ही उनके तीन ग़ज़ल संग्रह 'रोशनी के हमसफर, अनवर से गुफ़्तगू , और तुम,' प्रकाशित होने के बाद 'दीवान ए आरज़ू' दो अलग भाषाओं हिन्दी और उर्दू में एक साथ प्रकाशित हो सका।
जैसा कि अधिकांश विद्वान शाइरों को पता है कि दीवान उसे कहते हैं जिस ग़ज़ल संग्रह में हरूफ़ ए तहज्जी (उर्दू वर्णमाला) के हिसाब से रदीफ़ हों, यानी जिस ग़ज़ल संग्रह में उर्दू वर्णमाला 'अलिफ़' से लेकर 'ये' तक सभी अक्षर पर खत्म होने वाले शब्द की रदीफ़ वाली ग़ज़लें होती हैं उन्हें ही दीवान कह सकते हैं अन्यथा वे शे'री मजमूए (ग़ज़ल संग्रह) दीवान कहने की हकदार नहीं।
अंजुमन मंसूरी जी संस्कृत के साथ स्नातक एवं स्नातकोत्तर हिंदी साहित्य और उर्दू साहित्य से होने के कारण दोनों भाषाओं में उनकी अच्छी पकड़ है। यही कारण है कि आपकी ग़ज़लों में हिन्दी और उर्दू के शब्द सहज रूप से दिखाई देते हैं । आप छिन्दवाड़ा में शासकीय सी एम् राइज उच्च माध्यमिक विद्यालय में व्याख्याता हिन्दी साहित्य के पद पर कार्यरत हैं। तमाम व्यस्तताओं एवं कठिनाइयों के बावजूद आपका सतत लेखन जारी है। शायरी के प्रति समर्पण के कारण ही आपको पाथेय सृजन श्री 2017, काव्य भूषण सम्मान 2018 विश्व हिंदी सस्थान
कनाडा की तरफ़ से , दी ग्लोबल बुक ऑफ लिटरेचर अवार्ड 2019 और सबसे चर्चित पुरस्कार विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय 111 महिला साहित्यकारों में शीर्ष प्रथम स्थान प्राप्त शाइरा हैं। उनकी ग़ज़लें निराशा से उबारने हौसला से आगे बढ़ने की सलाह देती हैं। इस बात की पुष्टि में उनकी पहली ग़ज़ल के एक दो शेर देखें-
दो क़दम जो बढ़ा नहीं सकता।
अपनी मंज़िल वो पा नहीं सकता।।
जूझना जिसकी ज़िद में शामिल हो,
तो कभी मात खा नहीं सकता ।।
शाइरा अंजुम यह देखकर बहुत दुःखी हैं कि आधुनिकता की दौड़ में लोगों की जिंदगी से खेत , खलिहान, डगर, कुएं,गाय, बकरी आदि गाइब हो गये हैं। इसी संदर्भ में एक शे'र देखें -
शान कुत्तों को पालने में हुई ,
गाय बकरी से जानवर ग़ाइब।
जिनसे तहज़ीब आब पाती थी,
वो कुएं बावड़ी वो सर ग़ाइब।
आजकल के माहौल पर एक शे'र मुलाहिजा फरमाएं -
चिराग़े - इल्म जो रोशन किये हैं हमने,उन्हें,
बुझा रही हैं जहालत की आंधियां गुस्ताख़।
पुरुष प्रधान देश में प्राय: महिलाओं की आवाज अनसुनी कर दी जाती है यह बात बड़े सलीके से एक शे'र के द्वारा पाठक तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया गया है। शे'र देखें -
अपनी ही बात कहता रहा है मचा के शोर,
सागर ने कब सुनी है किसी भी नदी की बात।
चन्द लोगों की ख़्वाहिशों की तामीर करने वाले किस प्रकार हासिये पर रख दिये जाते हैं इस शे'र में बखूबी देखा जा सकता है-
करीने से ज़ेबाई(सजावट) हमने की जिसकी ,
है उस बज़्म में हम पे शिरकत में बंदिश।
ईमानदारी अच्छी चीज है लेकिन आज की दुनिया में कठोर सच्चाई दिखाना स्वयं के लिएन एक जोखिम भरी मूर्खता है।
आईना बन के घूमोगे तो टूट जाओगे,
शीशा दिखाना एक हिमाकत है आजकल। 'दीवान ए आरज़ू' में कुछ शे'र ऐसे हैं जो भविष्य में मुहावरे बन सकते हैं। सम्पूर्ण दीवान पठनीय है। प्रत्येक ग़ज़ल का हर एक शे'र पाठक पर अपना प्रभाव छोड़ने में समर्थ है।
पुस्तक का नाम - दीवान ए आरज़ू
शाइरा - अंजुमन मंसूरी 'आरज़ू'
प्रकाशक- अल्फ़ाज़ पब्लिकेशन नागपुर
मूल्य - ₹ 300/- मात्र पेपर बैक
समीक्षक -राम अवध विश्वकर्मा ग्वालियर
मो. 9479328400
प्रेस विज्ञप्ति
बच्चों की शान निराली है
2 नवंबर ' 2025 को सनद फाउंडेशन , दिल्ली के तत्वावधान में एक काव्य गोष्ठी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह सांस्कृतिक कार्यक्रम वाल्मीकि मंदिर , संजय कैंप , चाणक्यपुरी , नई दिल्ली में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में बच्चों ने कविताओं , फ़िल्मी गीत , गायत्री मन्त्र का वाचन किया। कुछ बालिकाओं ने सुन्दर नृत्य प्रस्तुत किया। 8 वर्षीय बालिका के बांसुरी वादन ने सभी श्रोताओं को अचरच में डाल दिया। डॉ संतोष संप्रीति , शिवनलाल जलाली और इन्दुकांत आंगिरस ने अपने गीत और कविताओं से सभी श्रोताओं और दर्शकों का दिल जीत लिया। । डॉ संप्रीति ने सभी उम्र के बच्चों के साथ सक्रीय भागीदारी करी और प्रतिभावान बच्चों की हौसला अफ़ज़ाई करी। डॉ संप्रीति के राम भजन ने सभी दर्शकों को उत्साहित किया। शिवनलाल जलाली के गीत की पंक्तियाँ " बच्चें लगते है अच्छे , बच्चों की शान निराली है , बच्चें पावन कहलाते हैं , ममता इनको प्यारी है " ने सभी दर्शकों का मन मोह लिया।
इस अवसर पर सनद फाउंडेशन द्वारा लगभग 50 किताबें वाल्मीकि मंदिर में इस प्रयोजन से दान करी कि संजय कैप के निवासी में किताबें पढ़ने का भाव जाग्रत हो और इस जरिये वे अपने ज्ञान को बढ़ा सकें।
कार्यक्रम के अंत में सनद फाउंडेशन के संस्थापक इन्दुकांत आंगिरस ने विशवास दिलाया कि संस्था द्वारा इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी होते रहेंगे। शिवनलाल जलाली ने सनद फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ सविता चड्ढा का शुभकाना सन्देश पढ़ा और सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
प्रेषक - इन्दुकांत आंगिरस
9900297891
संस्थापक -सनद फाउंडेशन